देश के मूंगफली का उत्पादन विश्व के उत्पादन में 34% की भागीदारी- डॉ. महक
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति डॉक्टर डी.आर. सिंह द्वारा जारी निर्देश के क्रम में 1 जुलाई को अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ महक सिंह
ने बताया कि खरीफ के मौसम में तिलहनी फसलों के अंतर्गत मूंगफली की खेती का महत्वपूर्ण स्थान है। मूंगफली की बुवाई का उचित समय जुलाई के दूसरे सप्ताह तक है डॉक्टर महक सिंह ने बताया कि देश के मूंगफली का उत्पादन विश्व के उत्पादन में 34% की भागीदारी है। उन्होंने कहा की मूंगफली का देश में क्षेत्रफल 5.02 मिलियन हेक्टेयर है तथा उत्पादन 8.11 मिलियन टन तथा उत्पादकता 1616 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। जबकि उत्तर प्रदेश में मूंगफली का क्षेत्रफल 1.01 लाख हेक्टेयर, उत्पादन एक लाख मीट्रिक टन तथा उत्पादकता 984 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। डॉ महक सिंह ने बताया मूंगफली के दानों में 25 से 30% प्रोटीन,10 से 12% कार्बोहाइड्रेट तथा 45 से 55% वसा पाई जाती है डॉ सिंह ने बताया कि मूंगफली में प्रोटीन, लाभदायक वसा,फाइबर, खनिज, विटामिंस और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं इसलिए इसके सेवन से स्किन उम्र भर जवां दिखाई देती है उन्होंने बताया की मूंगफली में प्रोटीन की मात्रा मांस की तुलना में 1.3 गुना, अंडो से 2.5 गुना एवं फलो से 8 गुना अधिक होती है। उन्होंने बताया कि मूंगफली की नवीनतम प्रजातियां चित्रा, कौशल, प्रकाश, अंबर, उत्कर्ष, दिव्या एवं जी जे जी- 31 आदि का प्रयोग करना चाहिए। 75 से 100 किलोग्राम बुवाई हेतु बीज की आवश्यकता होती है तथा बीज को बुवाई के पूर्व 2 ग्राम थिरम तथा 1 ग्राम कार्बेंडाजिम से उपचारित अवश्य कर लें जिससे रोगों के लगने की संभावना कम रहती है। उन्होंने बताया कि मूंगफली की बुवाई करते समय 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 30 किलोग्राम फास्फोरस, 45 किलोग्राम पोटाश, 250 किलोग्राम जिप्सम एवं चार किलोग्राम बोरेक्स (सुहागा) प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए। विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ खलील खान ने बताया कि मूंगफली की बुवाई से पूर्व राइजोबियम कल्चर से शोधित करने के उपरांत ही बुवाई करें जिससे वायुमंडलीय नाइट्रोजन को पौधे ग्रहण कर लेते हैं और फसल उत्पादन अच्छा होता है।