डरे हुए इंसान हामिद अंसारी ने राष्ट्रवाद को बताया बीमारी
Û उपराष्ट्रपति पद से हटते ही हामिद अंसारी को देश में लगने लगा था डर।
Û डरपोक हामिद ने कहा देश कोरोना से पहले दो महामारी का हो चुका शिकार।
नई दिल्ली- जिसका खाये उसी का विरोध करे या यह भी कह सकते है कि जिस थाली में खाये उसी में छेद करें तो गलत नही होगा। भारत के उपराष्ट्रपति पद पर रहे हामिद अंसारी को अचानक पद छोडते ही इस देश में डर लगने लगा था। यह उसी मानसिकता के लोग है जो नही चाहते है कि देश की जड मजबूत हो। अपने डर को व्यक्त करते हुएउन्होने पहले ही कहा था कि भारत के गणतंत्र की संस्थाएं बहुत खतरे में है। अब इस डरपोक अंसारी ने फिर एक बार अपना मुख खोला है और उसने राष्ट्रवाद को आक्रामकता के साथ जोडते हुए इसे बीमारी बताया है। इससे पहले भी वह राष्ट्रवाद को जहर बता चुके है।
इस देश का यह दुर्भाग्य ही है कि हामिद अंसारी जैसे लोगों को उपराष्ट्रपति जैसा पद दिया गया। यह वहीं हामिद अंसारी है जिसे पद से हटते ही इस देश में डर लगने लगा है, यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नही कि ऐसे लोग देश में एक अलग संदेश देते है। वह यह बताना चाहते है कि यदि इस देश में हिन्दुत्व जाग उठा तो मुस्लिमों को खतरा हो जायेगा। डरपोक अंसारी पहले ही अपनी कुटिलत बुद्धि का परिचर देते हुए राष्ट्रवाद को जहर बता चुका है और अब एक बार फिर उसने अपना मुंख खोला है। हामिद ने कहा कि कोरोना से पहले देश दो महामारी का शिकार हो चुका है। उन्होने धार्मिक कटटरता और आक्रामक राष्ट्रवाद के बदले देशप्रेम को सकारात्मक अवधारणा कहा। हामिद काग्रेस सांसद शशि थरूर की एक किताब के आभासी विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होने कहा कि प्रत्यक्ष और अप्रत्चक्ष विचारधाराओं के कारण उन्हे खतरा नजर आ रहा है और उसे विभाजित करने का प्रयास किया गया है। उन्होने कहा कि कोविड 19 एक महामारी है लेकिन इससे पहले धार्मिक कटटरता और आक्रमका राष्ट्रवाद जैसी दो बिमारियों का समाज शिकार हो चुका है और धर्म के आधापर इसे ढोंग के रूप में परिभषित किया जा रहा है। यह विचारधारा के लिहाज से जहर जैसा है जो किसी संकोच के बिना लोगों के व्यक्तिगत अधिकारो पर अतिक्रमण करता है और उनके अधिकारो को क्षीण करता है। यह एक ऐसी घुटटी के रूप में काम करता है जो प्रतिशोध के लिए उकसाता है ऐसे मे लोग अपनी ही जमीन खो देंगे। लेकिन शायद हामित अपने सम्बोधन में यह बात करना भूल गये कि कट्टरवाद क्या होता है और इसका क्या प्रभाव होता है इस उन्हे स्वयं के परिवेष में देखना चाहिये। जिस प्रकार से हामिद ने राष्ट्रवाद को जहर और आक्रामणता कहा उससे यही लगता है कि वह खुद के आस्तित्व को लेकर ज्यादा डरे हुए है और देश में दो समुदायों के बीच लकीर बनाने का प्रयास कर रहे है।
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