अस्वस्थ जीवन शैली के कारण कानपुर के युवाओं में बढ़ रही है हृदय सम्बंधित बीमारियां
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | आधुनिक जीवन शैली के साथ टेक्नोलॉजी, इंटरनेट की सुविधा के कारण कानपुर और इसके आसपास के जिलों में लोग विशेष रूप से युवा पहले से कहीं अधिक निष्क्रिय हो गए हैं। डॉ अभिनीत गुप्ता, कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, कानपुर बताया कि वह गतिहीन जीवन शैली के कारण 21-40 वर्ष की आयु के लोगो में हृदय संबंधी मुद्दों में वृद्धि देख रहे है और कहा है कि लंबे समय तक बैठे रहने से हृदय रोग सहित कई स्वास्थ्य परिणाम खराब होते हैं, जैसे की टाइप 2 मधुमेह और कैंसर।
विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, 1950 के बाद सेडेंटरी नौकरियों यानी एक जगह बैठे रहने वाली नौकरियों मे 83 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। शारीरिक रूप से सक्रिय रहने वाली नौकरियां अब भारतीय कार्यबल के 20 प्रतिशत से भी कम है। युवा आबादी में अल्कोहल, धूम्रपान, खराब और गतिहीन जीवन शैली, कुछ ऐसे कारक हैं जो न केवल मधुमेह और उच्च रक्तचाप के लिए जोखिम को बढ़ाते हैं, बल्कि लंबे समय में हृदय की कार्यप्रणाली को भी प्रभावित करते हैं।
डॉ अभिनीत गुप्ता, कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, कानपुर ने कहा “हृदय संबंधी समस्याएं या दिल का दौरा होना पहले बुजुर्ग समुदाय से जुड़ी थी। लेकिन, आजकल 20, 30 और 40 के दशक के लोग दिल की बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। हम न केवल कानपुर में बल्कि इटावा और औरेया में भी लगभग 15% युवा लोगो द्वारा में हृदय संबंधी समस्याएं देख रहे हैं। जेनेटिक प्रकृति और पारिवारिक इतिहास के अलावा, युवा की खराब जीवन शैली, तनाव, अनियमित नींद के पैटर्न सबसे आम और जोखिम वाले कारक हैं जिनके कारण जिनके वे दिल की बीमारियों का शिकार हो रहे है”।