प्रेम ही जीनव का सार हैः पं. दीपक कृष्ण महाराज
निराला नगर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा का छठवां दिन
कानपुर। भगवान ने उद्धव जी को गोपिकाओं को समझाने के लिए भेजा, जहां जाकर वह ज्ञानी से प्रेमी बनकर लौटे। जीवन का सार ही प्रेम है। प्रेम से पशु पक्षी को भी अपने वश में किया जा सकता है। यह बातें निराला नगर स्थित राम मानस मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन वृंदावन से आए कथा व्यास पं. दीपक कृष्ण महाराज ने कही।
निशंक फाउंडेशन और कानपुर प्रेस क्लब के सहयोग से चल रही कथा में मुख्य यजमान विवेक वाजपेयी ने प्रारंभ में पोथी पूजन किया। कथा में महाराज जी ने बताया देवराज इंद्र के मान को भंग करने के लिए भगवान ने गिरिराज पूजन कराया। आज हम दूर के देवताओं को तो पूजते हैं, पर अपने पास के देवता यानी हमारे माता-पिता का का सम्मान नहीं करते हैं। इस कारण हमें दुख भोगना पड़ता है। वर्तमान में समाज को संस्कारों की जरूरत है। देश में तेजी से बढ़ रहे वृद्धाश्रम एक चिंता का विषय है। उन्होंने बताया कि जीव रूपी गोपी और परमात्मा का मिलन ही महारास है। कामदेव का अभिमान दूर करने के लिए भगवान ने रास रचाया। किंतु जब गोपियों के हृदय में भी अभिमान आया तो भगवान उन्हें भी छोड़कर अंर्तध्यान हो गए। तब गोपिकाओं ने प्रभु को समर्पित होकर गोपी गीत गाया और भगवान प्रगट हो गए। भगवान की कृपा प्राप्त करने का सबसे सरल साधन है गोपी गीत रासलीला का दर्शन। कथा में रुक्मणि हरण की लीला का भी विस्तार से वर्णन किया।
कथा में पं. संतोष जी पाधा, अंकित सैनी, शिवचंद्र शुक्ला, मनोज वाजपेयी, संदीप शुक्ला, अशोक दीक्षित, समर्थ शुक्ला, अमित गुप्ता, विपिन दीक्षित, कृति शुक्ला, व्याख्या त्रिपाठी, दीपाली वाजपेयी, समृद्धि पांडेय, पूर्ति पांडेय आदि मौजूद रहे।