कुंती व द्रोपदी नारी जाति के लिये आदर्श का प्रतीक: बलरामदास महाराज
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। शास्त्री नगर स्थित श्रीरामलला गोपाल मन्दिर में 19वें श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथा वाचक राम नारायण मिश्र द्वारा देहूती करदन कथा, कपिल जन्म, सांख्य योग कथा, महाराज सागर की कथा युधिष्ठर, भीष्म वृतांत अष्वाथामा द्वारा द्रोपदी पुत्रो का वध बिदुर मैत्री वृतांत कथा का वाचन हुआ।
श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिन पनकी महन्त जितेन्द्र गिरी जी महाराज व पूर्व आईएएस अधिकारी वेद प्रकाश वर्मा सम्मलित हुए और भगवान की पूजा अर्चना की। 108 बलरामदास महाराज ने कुंती चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि कुंती ने भगवान से दुःख मांगा क्यों कि कुंती ने कहा है कि दुःख में भगवान का स्मरण रहता है जबकि सुख आने पर भगवान विस्मरण हो जाते है। इस लिये कुंती एक आर्दष नारी है। इसी तरह द्रोपदी पुत्रा को वध करने वाले अष्वास्थामा को सजा देने के बारे में जब पाण्डव ने पूछा तो द्रोपदी ने अष्वास्थामा को गुरूपुत्र होने की बात कह क्षमादान दे दिया था। जिससे यह प्रतीत होता है कि द्रोपदी एक उदार व महान स्त्री थी और ऐसी स्त्रियां हमारी भूमि पर जन्म् लेकर उन्होंने इसे पावन बना दिया। इसी तरह भीष्म का नाम भीष्म नही बल्कि उनका नाम देववृत्त था। पिता के लिये उन्होंने एक ऐसी प्रतिज्ञा ली जिसे संसार में कोई भी नही ले सकता था। पिता को अपना सारा जीवन देने वाले देववृत्त को उनकी सेवा से अभिभूत होकर उन्होंने उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान दिया। इसी प्रतिज्ञा के कारण उन्हें भीश्म का नाम दिया गया। श्रीमद्भागवत कथा के सहयोगियों में मुख्य रूप से पं0 अरूण द्विवेदी, पं0 सोमदत्त द्विवेदी, उमेश शुक्ल, गोपाल जी त्रिपाठी समेत अन्य सहयोगी उपस्थित रहे।