शादी अनुदान फर्जीवाड़ा :डीएम ने गठित की तीन सदस्यीय जांच कमेटी।
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। अंधा बांटे रेवड़ी, चीन्ह-चीन्ह के दे। यह कहावत तो बहुत पुरानी है, लेकिन राजस्व विभाग पर सटीक बैठती है। यहां के लेखपालों ने दलालों के गठजोड़ कर शादी अनुदान योजना में भी कुछ ऐसा ही खेल किया। उन्होंने अपात्रों को शादी अनुदान दिलाने का प्रयास किया, हालांकि इसमें वे सफल नहीं हुए। अब मामला खुला है तो आरोपित लेखपालों के माथे पर बल पड़ गया है, लेकिन वे दावा कर रहे हैं कि उनके हस्ताक्षर नहीं हैं। हालांकि किए गए हस्ताक्षर से सदर तहसील में तैनात रहे कई एसडीएम जांच के दायरे में आ गए हैं।, अशोक नगर के पंकज कुमार की बेटी की शादी पांच माह पहले हो चुकी है, लेकिन उन्हें भी पात्र घोषित कर आवेदन पत्र आगे बढ़ा दिया। एसडीएम ने भी उनकी रिपोर्ट समाज कल्याण कल्याण विभाग भेज दी।, न्यू आजाद नगर की मनोरमा के नाम भी आवेदन है, लेकिन जो पता आवेदन पत्र पर भरा गया है, उस पते पर मनोरमा नहीं रहती हैं। बावजूद इसके उन्हें पात्र घोषित किया गया और रिपोर्ट भेज दी गई।, नगवन कठोंगर चकेरी निवासी जवाहर लाल के आवेदन पत्र को भी पात्र घोषित किया गया है, लेकिन आवेदनपत्र में जो पता लिखा गया है उस पर आवेदक नहीं रहते। यह बात सामने आ गई है।
बाक्स में-
शादी अनुदान उन्हें मिलता है जो गरीब होते हैं। ऐसे लोगों को बिटिया की शादी पर 20 हजार रुपये की वित्तीय मदद दी जाती है। आवेदन फॉर्म पर पहले लेखपाल हस्ताक्षर करते हैं और पात्र या अपात्र लिखते हैं। जो पात्र होते हैं उनके आवेदन को ही एसडीएम पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन भेजते हैं। इसके बाद समाज कल्याण विभाग अनुदान देता है, लेकिन यहां तो लेखपालों ने अपात्रों को ही पात्र बनाया। स्थिति यह है कि 50 से अधिक ऐसे लोग हैं जिनका अता-पता ही नहीं है। जिस पते पर उन्होंने आवेदन किया है उस पर वे रहते ही नहीं हैं।
तीन दर्जन ऐसे आवेदनकर्ता हैं जिनकी बेटियों की शादी पहले हो गई है या उनके बेटी ही नहीं है। इसी की जांच के लिए डीएम आलोक तिवारी ने एडीएम आपूर्ति डॉ. बसंत अग्रवाल, मुख्य कोषाधिकारी यशवंत सिंह और पीडी डीआरडीए केके पांडेय को जांच अधिकारी बनाया है। कमेटी के अध्यक्ष एडीएम आपूर्ति हैं। केके पांडेय ने समाज कल्याण अधिकारी को पत्र लिखकर दो साल के आवेदन पत्र मांगे हैं।