गुर्दे के कोनिक रोगियों की संख्या हुई 1 लाख
U- उचित इलाज व देखभाल से अग्रसर की प्रवृत्ति को किया जा सकता है कम: डॉ.निर्भय
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर।स्वरूप नगर स्थित रीजेन्सी रीनल हॉस्पिटल में प्रेस वार्ता के दौरान डायरेक्टर एवं वरिष्ठ गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ. निर्भय कुमार ने बताया कि गुर्दा प्रत्यारोपण की यह नयी प्रकिया है।प्री-एम्पीटिव किडनी ट्रान्सप्लांट जिसे शुरूआती किडनी ट्रांन्सप्लांट कहा जा सकता है। इस प्रकिया में रोगी को गुर्दा डिसीज की अन्तिम अवस्था में पहुचने के पहले ही सीधे ट्रांन्सप्लांट किया जाता है। इसके कई फायदे है।आगे बताया कि हमारे समाज में गुर्दे के गंभीर रोग (कोनिक गुर्दा रोग) निरन्तर बढ़ता जा रहा है, इस रोग ने महामारी का रूप ले लिया है। एक अनुमान के हिसाब से इस महानगर में गुर्दे के कोनिक रोगियों की कुल संख्या 1 लाख तक पहुंच गयी है। इस रोग के मुख्य कारणों में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कोनिक नेफाइटिस. आनुवार्शिक गुर्दे रोग. मूत्र मार्ग में बाधा जनित रोग और दर्द नाशक दवाओं का लम्बा सेवन है। कोनिक गुर्दा रोग एक निरन्तर अग्रसर होने वाला रोग है उचित इलाज और देखभाल से इसकी अग्रसर होने की प्रवत्ति को धीमा किया जा सकता है।
रोगी को डायलिसिस की कष्टपूर्ण और तनावग्रस्त जीवन से मुक्ति, डायलिसिस के दौरान सम्भावित वाइरल सकमण (हेपेटाइटिस बी, सी तथा एच.आई.वी.) तथा विभिन्न वैबिटिरियल सकंमण से बचाव।डायलिसिस के लिये बनाये जाने वाले साधन (फिस्टुला) या गर्दन में डाले जाने वाले कैथेटर की जरूरत न होना। पेशाब की मात्रा ठीक रहना, जिससे रोगी खान पान आम लोगो की तरह ही ले सकता है और डायलिसिस रोगियों से अधिक स्वस्थ्य रहता है। डायलिसिस के दौरान होने वाली रक्त अल्पतता (एनिमिया) के कारण बार-बार ब्लड चढानें की जरूरत न होना।शुरूआती गुर्दा प्रत्यारोपण से प्रत्यारोपित गुर्दा में शरीर द्वारा रिजेक्ट करने या बहिष्कृत करने की प्रवत्ति कम हो जाती है।