निजीकरण के विरोध में सरकारी बैंक कर्मचारियों का महाप्रदर्शन
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के बैनर तले निजीकरण के विरोध आज सरकारी बैंकों की देश व्यापी हड़ताल जोरदार तरीके से हुई।अधिकारी और कर्मचारी संगठनों ने आज बैंक ऑफ इंडिया के आंचलिक कार्यालय किदवई नगर में जोरदार प्रदर्शन किया। सरकार द्वारा प्रस्तुत बजट में दो सरकारी बैंकों का निजीकरण कर के की घोषणा की गई थी किंतु बैंको के नाम की घोषणा नही की गई थी। उसी के विरोध में आज सरकारी बैंक कर्मियों ने 15 एवं 16 मार्च को दो दिवसीय हड़ताल की घोषणा की। और आज उसी के पहले दिन बैंककर्मियों ने सरकार को खुली चेतावनी दी कि बैंको का निजीकरण का फैसला सरकार को तुरंत वापस लेना होगा।
पूर्व आंचलिक मंत्री मनोज चतुर्वेदी ने बताया कि सरकारी बैंक भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और इनको बेचने का फैसला आत्मघाती एवं गरीब जनता के प्रतिकूल है। उन्हीने बताया कि इस हड़ताल को 84 ट्रेड यूनियंस का समर्थन प्राप्त है। आंचलिक मंत्री राणा प्रताप सिंह ने बताया कि सरकार जिस निजीकरण के एजेंडे पे चल रही है वह देश हित मे नही है। बैंको के माध्यम से सरकार की तमाम योजनाएं पूर्व में सफल रही है और विषम परिस्थियों में भी बैंककर्मियों ने सरकार के हर फैसले में सरकार का साथ दिया है। इसलिए सरकारी बैंकों के निजीकरण की योजना का कोई औचित्य नही है।
युवा बैंकर भारी संख्या में हड़ताल में शामिल हुए जिससे यह पता चलता है कि बैंक कर्मियों में इस फैसले के खिलाफ अत्यधिक रोष है।
युवा बैंकर सौरभ यादव एवं अंकित अवस्थी ने बताया कि कुछ लोग दुष्प्रचार कर रहे है कि बढ़े एनपीए की वजह से सरकार को करदाताओं का पैसा बैंको में डालना पड़ता है जबकि वास्तविकता कुछ और है। डायरेक्ट ट्रांसफर योजना के जरिये सरकारी बैंकों ने सरकार के 2014 से अब तक 1.74 लाख करोड़ रुपये का फ़ायदा कराया और साथ ही सरकार की अनगिनत योजनायों जैसे जनधन, अटल पेंशन, जीवन ज्योति, कृषि बीमा, स्वानिधि योजना को सफल बनाया तथा नोटबन्दी जैसे फैसले में भी सरकार का साथ दिया। उसके बाद भी सरकार निजीकरण करके बैंक कर्मियों के साथ विश्वासघात कर रही है। सरकार को अपना यह कदम वापस लेना पड़ेगा अन्यथा आने वाले दिनों में अनिश्चित कालीन हड़ताल भी प्रस्तावित है।