विदेशी मुद्रा के साथ ही देश के स्वर्ण भंडार में बढोत्तरी
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस व्यापार- भारत में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा भंडार का आंकलन किया जाता है, विदेशी मुद्रा भंडार देश के रिजर्व बैंक आॅफ
इंडिया द्वारा रखी गयई धनरााशि या अन्य परिसिम्पत्तियां होती है, जिसका उपयोग आवश्यकता के अनुसार देनदारियो का भुगतान करने में किया जाता है साथ ही विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के काफी महत्वता रखता है। इसका उपयोग आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थितियों में भी किया जाता है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा देश में जितना भी विदेशी मुद्रा भंडार जमा होता है,समय समय पर उसका आंकडा आईबीआई द्वारा जारी किया जाता है। देश में विदेशी मुद्रा भंडार के नए आंकडे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किऐ गये है, जिसमें देश के विदेशी मुद्रा भंडार में बढत दर्ज की गयी है साथ ही देश के स्पर्ण भंडार की कीमत में भी बढोत्तरी दर्ज की गयी है। आरबीआई द्वारा जारी ताजा आंकडो के अनुसार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 16 अप्रैल समाप्त सप्ताह में 1.193 अरब डाॅलर से बढकर 582.406 अरब डाॅलर तक बढ गया, जबकि
16 अप्रैल को विदेशी मुद्रा भंडार 4.344 अरब डालर से बढकर 581.213 अरब डाॅलर तक पहुंच गया। वहीं समीक्षाधीन अवधि में विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों
के घ्ज्ञटने के कारण मुद्रा भंडार में गिरावट दर्ज की गयी है। विदेशी मुद्रा परिसंपत्तिया, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का एक जरूरी हिस्सा मानी जाती है। बीती 29 जनवरी को समाप्त सप्ताह में मुद्रा भंडार 590.185 अरब डाॅलर के रिकाॅर्ड ऊचाई पर पहुंच गया था। अप्रैल को समाप्त समीक्षाधीन सप्तहा में विदेशी मुद्रा परिसंपत्त्यिां 1.13 अरब डालर बढकर 540.585 अरब डालर पर पहुंच गया। एफसीऐ को डाॅलर में चूंकि दर्शाया जाता है लेकिन इसमें यूरो, पौंड और येन जैसी अन्य विदेशी मुद्रा सम्पत्ति भी शमिल होती है तो वहीं भारत के गोल्ड रिजर्व की वैल्यू में भी बढत दर्ज की गयी है और गोलड रिजर्व वैल्यम 3.40 करोड डालर से बढकर 35.354 अरब डालर पर पहुंचगयी है। इंटरनेशनल माॅनेटरी फंड में देश का स्पेशल ड्राॅइंग राइटफस 60 करोड डालर बढकर 1.498 अरब डाॅलर हो गया है। वहीं आईएमएफ के पास आरक्षित मुद्रा भंडार 2.30 करोड डालर बढकर 4.969 अरब डाॅलर पर पहुंच गया है। कई लोगों इस बात से अंजार होते है कि विदेशी मुद्रा कय है। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा भंडार में बढोत्तरी अच्दी बात होती है। इसमें करंसी के तौर पर ज्यादातर डाॅलर होता है और उसके ही आधार पर दुनिया के साथ व्यापार किया जाता है। असेट्स सोने के बाद विदेशी मुद्रा सबसे बडा हिस्सा रखते है, इससे एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति में आसानी होती है तथा वह देश जिसके पास विदेशी मुद्रा का अच्छा भंडार
है वह विदेशाी व्यापार को आकर्षित करता है। भारत के पास विदेशी मुद्रा का यदि भंडार उपलब्ध है तो भारत सरकार सैन्य सामान की तत्काल खरीदी का निर्णय ले सकती है।
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