पीआरपी से रतौंधी के 80 फीसदी रोगियों को मिली रोशनी - डॉ. परवेज खान
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानुपर। मौसम के बदलते रूख और बारिश ने एक बार फिर लोगो को वायरल और एलर्जी की चपेट में ला दिया है। वायरल और एलर्जी के कारण लोगो को कंजिटवायटिस की परेषानी से गुजरना पड रहा है। आंखो की समस्या से निदान पाने के लिए मेडिकल कालजे प्रोफेसर एवं एचओडी डा0 परवेज खान ने कुछ महत्वर्पूण जानकारियां दी जिससे मौसम के बदले रूख से अपनी आंखो को कैसे सुरक्षित रख सके।
डा0 परवेज खान ने बताया कि एलर्जी के कारण इस समय ड्राइनेस वाले केसो में बढ़ोत्तरी देखी गई है। उन्होंने बताया कि इस समय मोतियांबिंद के मरीजो में कमी आई है। बारिश के चलते वह ऑपरेशन कराने में थोडा हिचकिचा रहे है। जबकि ड्राइनेस केस के मरीज बढ़ रहे है। उन्होंने बताया कि ड्राइनेस मर्ज कम्प्यूटर पर अत्याधिक समय तक काम करने से होता है जो कि आज कल आम बात हो गई है। उन्होंने बताया कि (पीआरपी) रेटेनाइटिस फिंगमेंटोसा यानी रतौंधी। रतौंधी का इलाज करीब दो साल पहले शुरू किया था। अब तक 300 रोगियों के इलाज में 80 प्रतिशत लोगों की आंखों की रोशनी में वृद्धि पाई गई है। डॉ. खान ने बताया कि प्लेटलेट रिच प्लाज्मा (पीआरपी) को एक विशेष निडिल से आंख की सतह पर इंजेक्ट किया जाता है। इस प्रक्रिया को 15-15 दिन के अंतराल में पांच बार किया जाता है। डोज देने के पहले दिन इलेक्टो रेटिनो ग्राम(ईआरजी) जांच करने और पांचवीं डोज के बाद जांच करने पर तीन सौ में 80 प्रतिशत लोगों की आंख की रोशनी में वृद्धि पाई गई है। उन्होंने बताया कि इस तकनीक से युवाओं में परिणाम बेहतर आ मिल रहे हैं। यह इलाज जीएसवीएम के नेत्र रोग विभाग में निशुल्क किया जा रहा है।
क्या है रतौंधी की बीमारी
रतौंधी एक जन्मजात बीमारी होती है। इसमें रेटिना की कोशिकाएं व आंख की नसें सूखने लगती हैं। धीरे-धीरे आंख की रोशनी कम होने लगती है। इस बीमारी से बचने के लिए विटामिन ए से युक्त खाद्य पदार्थों, हरी सब्जियां और फलों का सेवन करना चाहिए। इस रोग के शुरुआती दौर में रात में दिखना कम हो जाता है। उसके बाद दिन में भी देखने में परेशानी होती है। अंत में पूरी तरह से दिखना बंद हो जाता है।