चिकित्सको को अपने ज्ञान को निरंतर अपडेट करना अत्यंत महत्वपूर्ण : डाॅ0 जे ए जयलाल
U- 38 वां रिफ्रेशर कोर्स शुरू।
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, कानपुर शाखा की ततआई.एम.ए. सी.जी.पी. कानपुर सब फैकल्टी के 38वां रिफ्रेशर कोर्स प्रारम्भ हुआ यह रिफ्रेशर कोर्स आनलाइन माध्यम से आयोजित हो रहा है। 1 8 दिनों तक चलने वाले रिफ्रेशर कोर्स का उद्घाटन मुख्य अतिथि डा० जे०ए० जयलाल, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आई.एम.ए. हेड क्र्वाटर नई दिल्ली व विशिष्ट अतिथि डा० जयेश एम. लेले. जनरल सेकेट्री आई.एम.ए. हेडक्वार्टर, विशिष्ट अतिथि डा० नटवर शारदा, नेशनल डीन आई०एम०ए० सी०जी०पी०, डा० नीलम मिश्रा, अध्यक्ष, आई.एम.ए. कानपुर, डा० संजय काला प्रधानाचार्य जी.एस.वी.एम. मेडिकल कालेज, कानपुर, डा० रवि कुमार, असि० डायरेक्टर आई०एम०ए० सी०जी०पी०. डा० दिनेश सिंह सचान, सचिव, आई०एम०ए० कानपुर, डा० रजनीश बाजवा, असि० सेकेट्री, आई.एम.ए. सीजपी तथा अन्य पदाधिकारियों द्वारा आनलाइन माध्यम से हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि आई०एम०ए० हेड क्वार्टर के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा० जे०ए० जयलाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि चिकित्सकों को अपने ज्ञान को निरंतर अपडेट करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिशा में आई.एम.ए. कानपुर, आई.एम.ए. सीजीपी रिफ्रेशर कोर्स के माध्यम से महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। चूंकि अब यह कोर्स आनलाइन हो रहा है तो इसकी पहुंच अन्तर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर हो चुकी है तथा अधिक से अधिक चिकित्सकगण इस रिफ्रेशर कोर्स से अपने ज्ञान को बढ़ायेंगे।आज रिफ्रेशर कोर्स के प्रथम दिन पहले व्याख्यान का विषय था- 'न्यूरो साइकियाट्रिक मैनीफेसटेशन्स आफ कोविड 19 (कोविङ–19 के मानसिक लक्षण) इस विषय के वक्ता डा० ओ०पी० सिंह, ए.एम.आर.आई. कोलकाता ने बताया कि कोविड-19 से विभिन्न प्रकार के मानसिक रोग हो सकते हैं और इनके कई कारण हो सकते है। कोविड-19 के मानसिक रोग संबंधित लक्षण मुख्यतया दो कारणों से हो सकते हैं- पहला वाइरस का दिमाग पर आ सकते हैं। सीधा असर। वाइरस के कारण कई प्रकार के (प्रतिरक्षाविज्ञानी) परिवर्तन होते हैं जो दिमाग पर विचार आ डालते हैं। सेरोटोनिन नामक पदार्थ की कमी होने की वजह से डिप्रेशन और एनजाइटी की बीमारी प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। हो सकती है उत्पन्न हो है और इससे आत्महत्या के है। कोविड क उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाओं जैसे कि स्टोरायड्स से भी दिमाग पर प्रभाव पड़ता है और इनसे मनिया तथा साइकोसिस होने की संभावना होती है। कोविड-19 से ग्रसित रोगियों के दिमाग में आक्सीजन की कमी होती है जिससे कि दिमाग के कुछ हिस्सों की कोशिकाएं नष्ट हो जाती है। खासकर हिप्पोकैम्पस की वजह से रोगियों में भूलने की बीमारी और डेमसिया हो सकता है। इस बीमारी में रक्त में पाए जाने वाली कोशिकाओं और रक्त के प्रवाह पर भी असर पड़ता है जिसकी वजह से ब्रेन स्ट्रोक होने का का खतरा होता है और भविष्य में मानसिक रोगों की संभावनाएं बढ़ जाती है। दूसरा--कोविड-19 के के कारण लोगों में बहुत डर, भय और अकेलापन आ गया है। खुद को कोविड-19 होने का डर मृत्यु का भय और किसी अपने को खोने की तकलीफ कई तरह के मानसिक विकारों को जन्म दे रही है। अपने नजदीकी को खोने के बाद जीवित बचे लोगों में अपराधबोध होने लगता है, दो खुद को दोषी मानने लगते हैं और डिप्रेशन, एनजाइटी जैसे मानसिक रोगों से ग्रसित हो जाते हैं।
आज के दूसरे व्याख्यान का विषय था 'रीसेन्ट ट्रेन्डस इन इण्डोवैसकुलर लिम्ब सालवाज इन पेरीफेरल आरटीरियल डिसीज इस विषय पर डा० डा० अमित सिंह, एसो० प्रोफेसर, कार्डियोथोरेसिक एण्ड वैसकुलर सर्जरी, उ0प्र0 आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई, इटावा तथा डा० नीरज प्रकाश असि०प्रोफेसर सीवीटीएस, कार्डियोलॉजी संस्थान, कानपुर द्वारा संयुक्त रूप से प्रस्तुतीकरण दिया गया। उन्होंने बताया कि पेरीफेरल आर्टरी डिसीज (PAD) या पेरिफेरल वैस्कुलर डिसीज (PVD) को को हिन्दी भाषा में परिधीय धमनी रोग कहा जाता है, जो मस्तिष्क व हृदय के बाहर मौजूद रक्त वाहिकाओं व धमनियों को प्रभावित करता है। ब्लड सर्कुलेशन संबंधित यह विकार आम तौर पर एथेरोस्कलेरोसिस के कारण होता है जिसमें धमनियों में वसा युक्त प्लाक जम जाता है और नसों के संकुचित होने या पूरी तरह से बंद होने के कारण शरीर के उस हिस्से में रक्त का बहाव कम हो जाता है। कुछ मामलों में रक्त वाहिकाओं में सूजन आना हाथ या पैर में चोट लगना, मांसपेशियों या लिगामेंट्स के शारीरिक रचना ठीक न होने या फिर रेडिएशन थेरेपी के संपर्क में आना भी पीएडी का कारण हो सकता है। पीएडी में दर्द व भारीपन महसूस होता है, जो ज्यादातर मामलों में टागों में होता है और अक्सर काम करने के दौरान ही होता है जो कि कुछ मिनट लगातार आराम करने से ठीक हो जाता है। टांग में दर्द के इस लक्षण को मेडिकल भाषा में इंटरमिटंट क्लॉडिकेशन कहा जाता है।
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