कोई भी कम्पनी एंटी नेशनल नहीं होती : मोहनदास
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस मुंबई इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट के सही से काम न करने को लेकर उठ रहे सवाल और उसके बीच पांचजन्य में छपे लेख में इन्फोसिस पर देशविरोधी तत्वों से सांठगांठ के आरोपों से बवाल मच गया है। एक तरफ आरएसएस ने लेख को खुद से जोड़े जाने पर ऐतराज जताते हुए दूरी बना ली है तो वहीं कंपनी के पूर्व सीएफओ मोहनदास पाई ने देशविरोधी का ठप्पा लगाए जाने पर कड़ा ऐतराज जताया है। इस पूरे विवाद से एक तरफ आरएसएस ने पल्ला झाड़ लिया है तो वहीं इन्फोसिस की साख को बट्टा लगा है।
जीएसटी से लेकर आईटी रिटर्न तक साइट के फ्लॉप रहने से कंपनी के उच्च मानकों को अपनाने के दावों पर सवाल खड़े हुए हैं। दरअसल पहले जीएसटी की वेबसाइट और अब इनकम टैक्स रिटर्न भरने वाली साइट के सही से काम न करने को लेकर इन्फोसिस निशाने पर है। इन दोनों ही वेबसाइटों का काम इन्फोसिस के पास है। इस बीच पांचजन्य में प्रकाशित एक लेख में वेबसाइट के काम न करने को अर्थव्यवस्था को स्थिर करने की साजिश से जोड़ा गया था।यही नहीं लेख में कहा गया कि पहले जीएसटी और अब आईटी रिटर्न की साइट का सही से काम न करना, महज एक संयोग नहीं है। इसके अलावा कुछ न्यूज वेबसाइट्स को इन्फोसिस की फंडिंग की बात भी कही गई, जो सत्ताधारी दल की विचारधारा से असहमति रखती हैं और अकसर आलोचना करती हैं। लेख में आरोप लगाया गया था कि इन्फोसिस में वामपंथी विचारधारा के लोग मैनेजमेंट में हैं। यही नहीं कंपनी पर देशविरोधी तत्वों से मिले होने का भी आरोप लगाया गया था। अब इस विवाद पर टिप्पणी करते हुए मोहनदास पाई ने कहा कि पांचजन्य के लेख में इन्फोसिस को गालियां दी गई हैं।
उन्होंने कहा कि लेख में कंपनी को एंटी-नेशनल और टुकड़े-टुकड़े गैंग का हिस्सा बताया गया है। यह पूरी तरह से गलत और बेवजह है। न्यूज वेबसाइट क्विंट से बात करते हुए पाई ने कहा, ‘तथ्य यह है कि पोर्टल टैक्सपेयर्स की उम्मीदों के मुताबिक काम नहीं कर पा रहा है। जून में पोर्टल के लाइव होने के बाद से ही कुछ समस्याएं बनी हुई हैं। इन्हें सही करना जरूरी है और काम हो भी रहा है। इसमें कुछ वक्त लग सकता है और इस पर सरकार की इन्फोसिस से बात भी हुई है। इन्फोसिस सही समय पर अपनी ओर उम्मीद के मुताबिक काम नहीं कर पाई है। इसके लिए उसकी आलोचना होना वाजिब है। लेकिन उस पर इस तरह के आरोप लगाना गलत है।’
मोहनदास पाई ने कहा कि कोई भी कंपनी एंटी-नेशनल नहीं होती है। सभी अपना कारोबार करते हैं। खासतौर पर इन्फोसिस ने भारत को गर्व करने के कई मौके दिए हैं। कई मानक कंपनी ने अपने ही स्तर पर तय किए हैं। इसलिए हम सभी को इस गड़बड़ी पर गुस्सा होने का अधिकार है। मैं मानता हूं कि आलोचना का स्वागत किया जाना चाहिए। लेकिन कंपनी को लेकर इस तरह के जजमेंट देना पूरी तरह से गैरजरूरी और गलत है।