ड्रोन से फसलों पर छिड़काव का किया प्रर्दशन।
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | सीएसए के द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र,अनौगी के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ वी.के. कनौजिया के नेतृत्व में ड्रोन के द्वारा 2.5 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर ग्राम पचपुखरा व कृषि विज्ञान केंद्र के परिसर पर ड्रोन से छिड़काव के तरीके का प्रदर्शन किया गया । इस अवसर पर केंद्र के वैज्ञानिक डॉ पूनम सिंह व डॉ चन्द्र कला यादव वैज्ञानिक, गृह विज्ञान, डॉ खलील खान वैज्ञानिक मृदा विज्ञान, डॉ बिनोद कुमार वैज्ञानिक सस्य वैज्ञानिक,अमरेंद्र यादव, वैज्ञानिक मौसम विज्ञान, जलालाबाद व तालग्राम के सी. डी.पी. ओ. के अतिरिक्त लगभग 80 कृषक व कृषक महिलाओं ने तकनीकी प्रदर्शन का लाभ उठाया। ड्रोन का प्रदर्शन गरुणा एयरोस्पेस लिमिटेड, चेन्नई के पायलट आर.एम. हरीनिवास व को - पायलट एम. सैयद नियास उद्दीन ने ड्रोंन के उपयोग व छिड़काव का प्रदर्शन किया । डॉ कनौजिया ने बताया कि आने वाले समय में इस प्रकार की तकनीक कृषि के क्षेत्र में नए आयाम रचेगी। यह तकनीक अनेक फसलों तथा विषम परिस्थितियों में अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगी। गन्ना, मक्का, अरहर,सरसों, ज्वार, बाजरा जैसी बड़ी फसलों में जहां छिड़काव कर पाना काफी मुश्किल होता है। तथा हवा में ड्रोन के द्वारा छिड़काव किया जाना अत्यंत आसान तथा सस्ता तरीका है। उन्होंने बताया कई बार मौसम के खराब होने तथा रोग व बीमारियों के बड़े पैमाने पर प्रकोप होने तथा फलदार वृक्षों में पर छिड़काव कर पाना संभव नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति में ड्रोन के द्वारा छिड़काव सफलतापूर्वक कर फसलों को बचाया जा सकता है । ड्रोन के द्वारा एक बार में 1 एकड़ क्षेत्रफल पर मात्र 5 लीटर पानी पर्याप्त होता है। तथा यह कार्य मात्र 15 मिनट में संभव है और इस पर लगभग ₹400 प्रति एकड़ का खर्च आता है। वहीं दूसरी ओर परंपरागत तरीके से छिड़काव करने पर प्रति एकड़ 200 लीटर पानी की आवश्यकता होती है और एक व्यक्ति को 5 से 6 घंटे छिड़काव करना पड़ता है। तथा खेत में अधिक नमी से छिड़काव कर पाना संभव नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति में ड्रोन एक अच्छा उपाय है। उन्होंने बताया कि जनपद में मुख्य रूप से आलू की फसल में झुलसा जैसी बीमारियां बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाती हैं।जिनके नियंत्रण में दवाओं के प्रयोग ड्रोन के द्वारा बड़े पैमाने पर कम समय में किया जा सकता है। ड्रोन का उपयोग सहभागिता अथवा किराए के आधार पर किया जाना संभव है। क्योंकि इसकी कीमत काफी अधिक रू 5 से 6 लाख है। ड्रोन नव युवकों के लिए नए रोजगार के अवसर पैदा कर सकता है।
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