विश्व हीमोफीलिया दिवस पर कानपुर मेट्रो ने किया जागरूकता संगोष्ठी का आयोजन
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। विश्व हीमोफीलिया दिवस के अवसर पर इस बीमारी के संबंध में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से कानपुर मेट्रो ने हीमोफीलिया सोसाइटी के साथ मिलकर एक अनूठा प्रयास किया। हीमोफीलिया खून के थक्के बनने की क्षमता को प्रभावित करने वाला एक आनुवंशिक रोग है। इस रोग के लक्षण, उपचार और सावधानियों के विषय में बात करने के लिए आज एलएलआर स्टेशन पर ‘विश्व हिमोफीलिया दिवसः सबका उपचार, सबका लक्ष्य‘ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज (जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज) के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ एस.के. बर्मन और डॉ ललित कुमार ने हिस्सा लिया और इस लाइलाज आनुवांशिक बिमारी से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। संगोष्ठी में हीमोफीलिया सोसाइटी के सौजन्य से हीमोफीलिया से पीड़ित 70 से अधिक लोग शामिल हुए। इस अवसर पर हीमोफीलिया के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए कानपुर मेट्रो ने विशेष मेट्रोराइड का भी आयोजन किया। यूपीएमआरसी व हीमोफीलिया सोसाइटी के वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।
एलएलआर स्टेशन पर आयोजित संगोष्ठी में हीमोफीलिया रोग की गंभीरता को रेखांकित करते हुए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के डॉ एस के बर्मन ने कहा कि, ‘हीमोफीलिया एक आनुवंशिक रोग है, जिसमें चोट लगने पर रक्त बहना जल्दी बंद नहीं होता। हीमोफीलिया से पीड़ित व्यक्ति को हीमोफीलिया रहित सामान्य व्यक्ति की तुलना में चोट लगने पर अधिक खून बहता है। इस रोग का कारण एक रक्त प्रोटीन की कमी होती है, जिसे ’क्लॉटिंग फैक्टर’ कहा जाता है। इस फैक्टर की विशेषता यह है कि यह बहते हुए रक्त के थक्के जमाकर उसका बहना रोकता है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ ललित कुमार ने बताया कि इस बीमारी से महिलाओं की तुलना में पुरुषों के प्रभावित होने की संभावना अधिक होती है। हीमोफीलिया से पीड़ित व्यक्ति स्वस्थ जीवनयापन कर सकता हैं। यद्यपि, इस बीमारी को उपचारित नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसके लक्षणों को कम करने और भविष्य की स्वास्थ्य जटिलताओं को रोकने के लिए इसका इलाज किया जा सकता है। हीमोफीलिया सोसाइटी के अधिकारियों ने जनस्वास्थ्य से जुड़ी इस गंभीर समस्या के प्रति लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए कानपुर मेट्रो का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर हीमोफीलिया के साथ जीवन जी रहे लोगों ने विशेष रूप से सजे मेट्रो कोच में यात्रा की और इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाई। मेट्रोराइड के दौरान उन्होंने इस बीमारी के साथ अब तक के अपने अनुभव भी साझा किए और अपनी जीवंतता से सबको प्रेरित किया। सोसाइटी से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि हीमोफीलिया के बारे में सहीं समय पर जानकारी से कई जिंदगियां बच सकतीं हैं। इस बीमारी के बारे में अब भी जागरूकता और संसाधनों का अभाव है, हालांकि पहले की तुलना में स्थिति में काफी सुधार भी आया है।