एक बेटी की ससुराल से मायके के लिये हुई मार्मिक विदाई |
-ससुराल गेट पर सुहाग चुनरी बांधते फफकी उर्वी सविता
-- पिता का कहना बेटी बोझ नहीं उसकी आंखों की है रोशनी |
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | आधुनिकता की चकाचौंध आंधी में रिश्तों का मोल दूर दूर तक खोता नजर आ रहा है इसी कड़ी में एक बेटी की ससुराल से मायके के लिए मार्मिक विदाई हुई बेटी ढोल ताशे के साथ अपने परिवार जनों के साथ ससुराल पहुंच कर बंद गेट पर सुहाग की चुनरी बांध कर अपने मायके आ गई गेट पर चुनरी बांधते समय वह फफक फफक कर बड़े बड़े आंसू बहाते लौटी | यह मामला पी - 75, विमान नगर हरजेन्दर नगर का है | पीड़िता उर्वी सविता, पुत्री अनिल कुमार सविता, आज केवल यह बताना चाहती हूँ कि शादी के नाम पर कितना बड़ा झूठ व फरेब रचकर प्रमोद कुमार और उसकी पत्नी बीना ने अपने साले आशीष रंजन की शादी कराई, जो कि 31 जनवरी 2016 को सामाजिक रीति रिवाज एवं भरपूर दान-दहेज के साथ लखनऊ में सम्पन्न हुई। 01 फरवरी, 2016 को मैं विदा होकर जब अपनी ससुराल पी.75, विमान नगर, कानपुर पहुँची, तब मुझे पता चला कि मुझे व मेरे पिता को बड़ा धोखा दिया गया है।
शादी के दूसरे दिन ही मुझे ससुर-गोपाल प्रसाद, भाई-भाभी अनूप रंजन व गीता तथा आशीष रजन व उसकी अन्य दोनों बहनों पूनम व बबली ने सामने बैठकर मेरे रंगरूप, दहेज आदि को लेकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, मेरे पर्सलन बॉक्स को जबरन खोलकर मेरे माता-पिता द्वारा दिये गये नगद व ज्वैलरी व अन्य कीमती सामान को हड़प लिया, विरोध करने पर मुझे आशीष रंजन द्वारा छोड़ देने की धमकी दी जाने लगी। मैं सोच ही नहीं पाई कि ये लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं? मेरा पति आशीष रंजन अत्यन्त शातिर, क्रूर व उग्र स्वभाव का व्यक्ति है, जिसने मुझे लगातार टॉर्चर किया एवं घर में उसके भाई अनूप रंजन व भाभी गीता, बहनोई-प्रमोद व बहन-बीना बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती थी, फिर भी मैने अपने स्तर से सम्बन्ध चलाने की भरपूर कोशिश की आशीष रंजन एक लम्पट स्वभाव का व्यक्ति था. मैं कामकाजी लड़की होने के कारण दिल्ली में कार्यरत थी। धीरे-धीरे पता चला कि आशीष रंजन अत्यन्त घृणित व्यक्ति है। उसे मैने सहा, जिसे बता पाना संभव नहीं। इसके घरवालों ने खासतौर पर इसकी भाभी गीता हमेशा मुझे ताने देती थी रिशू मेरा है, (आशीष के घर का नाम) और मैं तुम दोनों को एकसाथ नही रहने दूंगी। तब मुझे पता चला कि यहां तो कुछ और ही चल रहा है। अन्तिम बार अगस्त, 2018 में मैं कानपुर स्थित विमान नगर आयी तब मैं गर्भवती थी, तभी मैनें आशीष रंजन को उसकी भाभी गीता के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखा, विरोध करने पर दोनों बेशर्मी पर उतर आये और बोले कि क्या कर लोगी? ज्यादा बोलोगी तो तुम्हें छोड़ दिया जायेगा, उसके बाद मुझसे चुप रहने व सहन करने की धमकी तथा सम्बन्ध तोड़ने को कहा जाने लगा, तब मैनें अपने माता-पिता को सारी स्थिति बताई, तब इनके घर पर दि० 01दिसंबर .2019 को सामाजिक बैठक हुई. जिसमें इनके पिता गोपाल प्रसाद, प्रमोद व गीता, आशीष रंजन, अनूप व गीता ने माफी मांगी, हम लोगों ने जानबूझकर बैठक में अनैतिक सम्बन्ध को डिस्क्लोजर नहीं किया कि यदि ये सुधर जाते हैं तो देखेगें, लेकिन हुआ उल्टा, जबकि 16 फरवरी 2019 को मैनें बेटी को जन्म दिया, तो न तो आशीष रंजन और न ही उसके परिवार के किसी व्यक्ति ने मेरा या मेरी बेटी का हाल-चाल पूछा और बेटी का जन्म होने का ताना देते रहे। डिलीवरी का सारा खर्च मैनें स्वयं उठाया और मेरी माँ ने पूरी जिम्मेदारी निभाई। बेशर्मी की हद तब पूरीहो गयी जब दि० 04.अगस्त 2019 को प्रमोद कुमार, बीना, अनूप व गीता मेरे मायके लखनऊ आये व बेटी व मुझे कानपुर ले जाने का दबाव बनाया व पूरे परिवार के लिये जेवर, कपड़े व नगदी की मांग की कि गीता ने खुलकर मेरी माँ को कहा कि अब जो हमने मांगा है, वो दो नहीं तो अपनी लड़की को खुद रखों रिशू मेरा है। मेरे साथ ही रहेगा, तब से मेरी बेटी 5 वर्ष की हो गयी है, न तो उसके पिता और न ही उसके परिवार वालों ने हमारी सुधबुध ली, मेरे पिता द्वारा आशीष से मेरी व बेटी की देखभाल को अपने परिवार की देखभाल करने को कहने पर वह बोला कि मेरा कोई परिवार नही है और 28 अगस्त को दिल्ली में घर छोड़कर भाग गया और अपनी पूर्व प्रेमिका के साथ गुरुग्राम में रहने लगा। 20 जनवरी 2020 को उसी प्रेमिका को मुझे धमकाने भेजा कि जब आशीष तुम्हारे साथ नहीं रहना चाहता है तो उसे छोड़ दो, भाग खुद गया और दिल्ली में मुझे बदनाम करने लगा। 09 फरवरी 2020 को आशीष को गुरुग्राम में हार्टअटैक किसी की मदद से मैक्स हास्पिटल, गुरुग्राम में भर्ती कराया। सूचना पाकर मैं अपने पिता के साथ तुरन्त हास्पिटल पहुँची. उपचार कराया तथा रू0 3.50 लाख का बिल भरा एवं 4 महीने भरपूर सेवा की। इस आस में आशीष शायद अब बदल जाये लेकिन ऐसा नही हुआ और वह पुनः 20 जून 2020 को मुझे मजबूर किया। तब इसे मैं और मेरे पिता व उसके पिता गोपाल प्रसाद के हवाले कर गये। इसी तरह कानपुर में भी इसने मेरी गैरमौजूदगी में मुझे अनर्गल आरोप व लांछन लगाये हैं और सारी तोहमद अपने अनैनिक सम्बन्धों को छिपाने के लिये मुझपर मढ़ दिये, अतः आज मैं अन्तिम बार अपनी तथाकथित ससुराल विमान नगर आयी हूँ। मैं इन लोगों द्वारा अपने पर लगाये गये लांछनों पर सफाई दे सकूं। इन लोगों ने मेरा जीवन व मेरी 5 वर्षीय बेटी का भविष्य अंधकारमय कर दिया, इस घर में मैं अरमानों से बहू बनकर आयी थी, एवं पूर्ण समर्पण से अपना पूरा प्रयास किया, लेकिन मैं असफल रही, ठीक भी है. धोखाधड़ी, गलत नीयत और अनैतिक सम्बन्ध कैसे इस रिश्ते को चलने देते, रिश्ता तो मुझसे खत्म हो गया, लेकिन मेरी बेटी का पिता तो आशीश रंजन ही रहेगा और इस घर में मेरी बेटी जब समझदार होगी तो उसे लेकर जरूर आऊँगी, जब वह पूछेगी मेरे पिता कहाँ है? इस प्रकरण में सबसे अधिक भूमिका आशीष के बहनोई प्रमोद कुमार व बहन बीना, जो कि 8, न्यू आजाद नगर, कानपुर-।। के निवासीगण हैं। मैं ईश्वर से न्याय मांगूगी यदि मैनें कुछ गलत किया तो उसकी सजा मैने भुगत ली। मेरे माता-पिता जिस घर में मुझे बड़े अरमानों से बहू बनाकर भेजा था वहां से पुनः बेटी के रूप में वापस ससम्मान ले जा रहे है | इस दौरान अनिल कुमार सविता, कुसुम लता, वैष्णो, साधना सिंह, ममता नारायण, शिखा सोनी आदि रहे |
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