कोरोनरी धमनियों की महत्वपूर्ण भूमिका: हृदय स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। कोरोनरी धमनियाँ हृदय पेशियों को रक्त पहुँचाती हैं। कोरोनरी धमनी रोग (कोरोनरी आर्टरी डिसीज़, CAD) कई कारणों से होने वाला रोग है जिसके कारणों में आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारण शामिल हैं; इस रोग में कोरोनरी धमनियों की दीवारों पर वसा और कैल्सियम जमने लगते हैं; इन जमावों को एथेरोस्क्लेरोटिक प्लाक कहा जाता है। तंबाकू का उपयोग, एल्कोहॉल का सेवन, व्यायाम न करना, खराब जीवनशैली, फ़ास्ट फ़ूड, डायबिटीज़, हाई प्लड प्रेशर और रक्त में बुरे कोलेस्टेरॉल की अधिकता से प्लाक के जमाव की प्रक्रिया और तेज़ हो जाती है। यह प्रक्रिया समय के साथ जारी रहती है और एक समय ऐसा आता है जब ये प्लाक इतने बढ़ जाते हैं कि वे कोरोनरी धमनियों में अवरोध पैदा कर देते हैं और यह अवरोध इतना अधिक होता है कि इससे हृदय को जाने वाले रक्त की आपूर्ति इतनी घट जाती है कि वह अपने बुनियादी काम भी नहीं कर पाता है, और तब, रोगी में छाती में दर्द, साँस फूलने, धुकधुकी और बेहोशी जैसे गंभीर लक्षण पैदा होते हैं। बहुत से रोगियों में प्लाक अचानक टूट जाता है और उस पर रक्त के थक्के जम जाते हैं जिस कारण कोरोनरी धमनी पूरी तरह अवरुद्ध हो जाती है, जिससे हृदय पेशियों के उस भाग की रक्तापूर्ति रुक जाती है; इसका परिणाम होता है हार्ट अटैक जिसके चलते रोगियों को एमरजेंसी वार्ड में लाना पड़ता है।
कोरोनरी धमनी रोग के लिए कई उपचार उपलब्ध हैं, जैसे दवाओं से चिकित्सा, एंजियोप्लास्टी (स्टेंट) और कोरोनरी आर्टरी बायपास ग्राफ़्टिंग (CABG, जिसे आम भाषा में बायपास कहते हैं)। अवरोधों की गंभीरता के आधार पर और हृदय की कार्यक्षमता के आधार पर उपचार सुझाया जाता है और, रक्तापूर्ति के अभाव के कारण ठीक से काम नहीं कर रही हृदय पेशी को फिर से सक्रिय बनाना ही इस उपचार का लक्ष्य होता है। बायपास (CABG), कोरोनरी धमनियों के गंभीर अवरोध (जिसे आम तौर पर ट्रिपल वैसल डिसीज़/त्रिवाहिका रोग कहते हैं) का रामबाण उपचार है। इसमें रोगी के ही शरीर के किसी भाग, जैसे पैर, हाथ, छाती की दीवार, से नई वाहिकाएँ लेकर उन्हें कोरोनरी धमनियों में इस प्रकार जोड़ा जाता है कि अवरोध बायपास हो जाएँ। ऐसा करने पर हृदय पेशी की रक्तापूर्ति बहाल हो जाती है और हृदय की कार्यक्षमता में सुधार आता है। हृदय अधिक मेहनत वाले कार्यों जैसे दौड़ने, सीढ़ियाँ चढ़ने आदि में भी अपना काम ठीक से कर पाता है और अचानक हृदय-संबंधी घटनाएँ (मृत्यु, हार्ट अटैक) होने का जोखिम भी बहुत कम हो जाता है।
बायपास के ऑपरेशन को टिकाऊ बनाने में वे नई वाहिकाएँ भी महत्वपूर्ण होती हैं जिनका उपयोग बायपास में किया गया है। छाती की धमनियां पैर से निकली गयी शिराओं से ज़्यादा अच्छी हैं और लम्बे समय तक ख़राब नहीं होती। रोगी की छाती में मौजूद दोनों आंतरिक मैमरी धमनियों का उपयोग करके किया जाने वाला टोटल आर्टेरियल बायपास एक एडवांस्ड और प्रीमियम ऑपरेशन है। इससे बायपास का ऑपरेशन और भी अधिक टिकाऊ हो जाता है। इन धमनियों से बनाए गए बायपास मार्ग समय के साथ और बेहतर होते जाते हैं। पूरी दुनिया में बस कुछ ही अस्पताल इस प्रकार का ऑपरेशन नियमित रूप से करते हैं क्योंकि इसके लिए बिल्कुल अलग कौशल ज़रूरी होते हैं। बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के सीटीवीएस के प्रमुख डॉ रामजी मेहरोत्रा* को टोटल आर्टेरियल बायपास करने का विशाल अनुभव है। यह ऑपरेशन अपने अन्य लाभों के कारण भी प्रीमियम है। इसमें, छाती में केवल एक चीरा लगता है। पैरों और हाथों में कोई अतिरिक्त चीरा नहीं लगता है। इसलिए, रोगियों को कम ड्रेसिंग की ज़रूरत पड़ती है, उन्हें अस्पताल में कम समय भर्ती रहना पड़ता है, वे जल्द चलना-फिरना शुरू कर सकते हैं, और अधिकतर रोगी अधिक तेज़ी से ठीक हो जाते हैं। कई रोगी तो 2 सप्ताह के भीतर काम पर लौट जाते हैं।