26 मई को लगने वाला है इस वर्ष का पहला व आखिरी चंद्र ग्रहण
Û उपछाया चंद्र ग्रहण होने कारण इसका सूतक काल नही होगा मान्य
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस धर्म- भारतीय संस्कृति मेें ब्रम्हांड की उत्पत्ति से लेकर यहां होने वाले बदलाव और गतिविधियों की हर जानकारी है। आज का
आधुनिक विज्ञान ग्रहण अवस्था तक अब पहुंचा है लेकिन सनातन धर्म हजारो साल पहले ही इसकी जानकारी दी जा चुकी है।
इस वर्ष का पहला और आखिरी चंद्र ग्रहण वैशाख पूर्णिमा की तिथि को पड रहा है। चूकि यह चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण होगा,इसलिए इसका सूतक काल मान्य नही होगा। यह चंद्र ग्रहण 26 मई की दोपहर 2 बजकर 17 मिनट पर शुरू होकर शाम 7 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगा।इस वर्ष का पहला व आखिरी चंद्रग्रहण 26 मई मतलब वैशाख पूर्णिमा को लगेगा। बुधवार को यह चंद्र ग्रहण वृश्चक
राशि और अनुरधा नक्षत्र में लगेगा। हय पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा और दुनिया के कई हिस्सों में दिखेगा। चूंकि यह एक उपछाया चंद्र ग्रहण है,
इसलिए भारत मंे यह नही दिखेगा और ज्येातिष शास्त्र के अनुसार इस चंद्र ग्रहण का सूतक काल भी मान्य नही होगा। उन्ही ग्रहणों को धार्मिक
महत्व दियागया है जो खुली आंखों से दिखाई देते है। उपछाया ग्रहण को ज्योतिष ग्रहण की श्रेणी ने नही रखता। चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना
होती है। जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो चंद्र ग्रहण हेाता है। इसमें पृथ्वी की छाया चांद की रोशन को ढक लेती है और पृथ्वी
की रोशनी से चांद कमकता है, अवस्था बदलने के साथ ही चंद्रमा का रंग गहरा लाल दिखने लगता है जिसे रेड मून कहा जाता है।भारत में धार्मिक
अनुष्ठान ज्योषि गणना के अनुसार सम्पन्न होते है और ब्रम्हाण्ड के ग्रहो के बारे में उनकी गति के बारे में उनके बदलाव के बारे में जितना सनातन
धर्म में ज्ञान है उतना विश्व के किसी धर्म पुस्तको में नही है। हमारे ब्रम्हाण्ड में जितने भी ग्रह है उनका प्रभाव हम पर हमारी पृथवी पर पडता है और भारत
की ज्योतिष इसका आंकलन करती है। यह आज की आधुनिकता नही बल्कि इस देश में पुरातन काल से पंचाग बनाया जाता है, जिसमें अंतरिक्ष में होने वाली
गतिविधियों की पूर्व ही गणना कर दी जाती है।
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