शहर में एम्बुलेंस का चक्का जाम, मरीजों को झेलनी पड़ी परेशानी।
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। ठेका प्रथा से मुक्त करने और एनआरएचएम में अपने विलय किए जाने को लेकर सोमवार को प्रादेशिक संगठन के आवाह्न पर शहर में ऐंबुलेंस यूनियन चालक 108 और 102 व टेक्नीशियन ने हड़ताल पर। चालक टेक्नीशियन सुबह अपनी ऐंबुलेंस लेकर कांशीराम अस्पताल स्थित मैदान पर खड़ी कर प्रदर्शन शुरू कर दिया है।इस समय 108 व 102 की ऐंबुलेंस ठेका प्रथा पर चल रही है। इनका मानदेय ठेकेदारों द्वारा दिया जाता है। अक्सर होता है कि ठेकेदार पैसा देने में मनमानी करते हैं तीन से छह माह तक का पैसा ठेकेदारों द्वारा रोक कर रखा जाता है, और उन्हें जो सुविधाएं इस कोविड कॉल में मिलनी चाहिए थी वह भी ठेकेदारों द्वारा नहीं दी गई। ऐंबुलेंस चालक टेक्नीशियन कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए भी अपने संसाधनों का इस्तेमाल कर अपना बचाव किया, ठेकेदारों की तरफ से किसी भी कर्मचारी को कोई सुविधा नहीं दी गई थी।इस समय जिस कंपनी के पास ऐंबुलेंस का ठेका वह आंध्र प्रदेश की जीवीकेईएमआरआई कंपनी है। सपा सरकार में इस कंपनी पर जांच बैठाई गयी थी और इस कंपनी का पैसा भी रोक दिया गया था, लेकिन भाजपा की सरकार आते ही इस कंपनी पर लगे सारे आरोपों को ख़ारिज करते हुए रुका हुआ पैसा दे दिया गया।परेशान ऐंबुलेंस चालक ने ठेकेदारी प्रथा से मुक्त करने और एनएचआरएम में विलय करने के लिए प्रदेश नेतृत्व के आह्वान पर संघ के अध्यक्ष अजय सिंह के नेतृत्व में सोमवार को पूरे शहर में ऐंबुलेंस का पहिया रोक दिया। ऐंबुलेंस चालक टेक्नीशियन सुबह से ही प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। यहां पर करीब 82 ऐंबुलेंस और डेढ़ सौ की संख्या में चालक व कर्मचारी जमकर प्रदर्शन करते दिखे।
ऐंबुलेंस चालक की हड़ताल की वजह से शहर के कई मरीजों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा। जिले में आसपास के जिलों से आने वाले मरीजों को प्राइवेट ऐम्बुलेंस या निजी वाहन से अपना सफर करना पड़ा। नौबस्ता निवासी वंदना ने बताया सुबह से मां मालती देवी की तबियत ख़राब होने लगी ऐम्बुलेंस के लिए कंट्रोल रूम में फोन किया तो वह लोग किसी ऐम्बुलेंस वाले से संपर्क नहीं कर पाए, जिसकी वजह से मुझे ऑटो से अपनी माँ को लेकर हैलट अस्पताल पहुंचना पड़ा।
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