ब्रह्मचारिणी माँ उपासना से बनते हैं विगड़े काम
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस वाराणसी नवरात्र के दूसरे दिन शुक्रवार को मां भगवती ब्रह्मचारिणी की उपासना एवं आराधना की मान्यता है । माता का यह स्वरूप उनके नाम के अनुसार तपस्विनी का है। यहां ब्रह्म शब्द का अर्थ तपस्या है। ब्रह्मचारिणी अर्थात तप की चारिणी-तप का आचरण करने वाली । कहा गया है कि 'वेदस्तवं तपो ब्रह्म ।' तात्पर्य वेद, तत्व एवं तप ब्रह्म शब्द के अर्थ हैं। मां की उपासना से साधक एवं योगी स्वयं के मन को ‘स्वाधिष्ठान चक्र' में स्थित कर अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं।
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