दिव्यांग जनों को कमजोर न समझो इनके नाम का डंका हर क्षेत्र में है:राजेश कुमार बघेल
-विश्व दिव्यांग दिवस पर हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम
-जिले में 17 हजार 769 लोगों को मिल रही है दिव्यांग पेंशन
प्रिंस श्रीवास्तव
हिंदुस्तान न्यूज एक्सप्रेस कन्नौज/फर्रुखाबाद संवाददाता।विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग द्वारा जिले के जे एन वी रोड पर स्थित राजकीय संकेत मूक बधिर विद्यालय में विश्व दिव्यांग दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान कोविड-19 के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए विशेष आवश्यकता वाले दिव्यांग बच्चों द्वारा एकल गीत,रंगोली, एकल नृत्य एवं चित्रकला आदि की प्रस्तुति दी गई।भोजपुर विधायक नागेन्द्र सिंह ने कहा कि ज्यादातर लोग ये भी नहीं जानते कि उनके घर के आस-पास समाज में कितने लोग दिव्यांग हैं। समाज में उन्हें बराबर का अधिकार मिल रहा है कि नहीं। अच्छी सेहत और सम्मान पाने के लिये तथा जीवन में आगे बढ़ने के लिये उन्हें सामान्य लोगों से कुछ सहायता की ज़रुरत है।लेकिन, आमतौर पर समाज में लोग उनकी सभी ज़रुरतों को नहीं जानते हैं।मुख्य विकास अधिकारी एम अरुन्मोली ने कहा कि किसी भी अशक्त दिव्यांग लोगों के साथ भेदभाव ना करें और यथासंभव उनकी मदद करें उन्हें काबिल बनायें ताकि वे अपने आपको समर्थ महसूस कर सकें।ईश्वर ने किसी को भी पूर्ण नहीं बनाया है। हर एक में कुछ कमियां अवश्य होती है इसलिए उन कमियों को कैसे दूर किया जाये और अगर उनमे कुछ विशेष क्षमता है तो कैसे उसे विकसित किया जाये यही प्रयास हर स्तर पर किया जाये। उनका मजाक उड़ाकर उन्हें हतोत्साहित तो कदापि न करें।दिव्यांग कल्याण अधिकारी राजेश बघेल ने कहा कि दिव्यांग जनों को कमजोर समझने की भूल नहीं करनी चाहिए।इन्होने भी अपने नाम का झंडा अपने कार्यक्षेत्र में बखूबी फयराया है।
राजेश बघेल ने कहा कि आज लगभग 165 दिव्यांग लोगों को उनकी जरुरत के हिसाब से ट्राई साईकिल,बैसाखी,कान की मशीन, छड़ी, व्हील चेयर आदि का वितरण किया गया। जिले में 17 हजार 769 लोगों को विभाग की तरफ से दिव्यांग लोगों को उनकी जरुरत को पूरा करने के लिए पेंशन भी दी जा रही है।राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से जिला कार्यक्रम प्रबंधक कंचन बाला ने बताया कि जिले में स्वास्थ्य विभाग के तरफ से अब तक 6036 दिव्यांग लोगों को सर्टिफिकेट दिए जा चुके हैं।
हर साल 3 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिव्यांग व्यक्तियों का अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी और 1992 से संयुक्त राष्ट्र के द्वारा इसे अंतरराष्ट्रीय रीति-रिवीज़ के रुप में प्रचारित किया जा रहा है। दिव्यांगो के प्रति सामाजिक कलंक को मिटाने और उनके जीवन के तौर-तरीकों को और बेहतर बनाने के साथ ही दिव्यांग लोगों के बारे में जागरुकता को बढ़ावा देने के लिये इसे हर वर्ष मनाया जाता है। पीएम नरेंद्र मोदी ने 27 दिसंबर 2015 को अपने रेडियो संबोधन ‘मन की बात’ में कहा था कि शारीरिक रूप से अशक्त लोगों के पास एक ‘दिव्य क्षमता’ है और उनके लिए ‘विकलांग’ शब्द की जगह ‘दिव्यांग’ शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए तब से अब दिव्यांग शब्द का इस्तेमाल हो रहा है हालाँकि इससे कोई खास अंतर नहीं पड़ता,हमारे दिमाग के अन्दर की मानसिकता बदलनी चाहिए।हमारे बीच कुछ जानी मानी हस्तियाँ हैं जो दिव्यांग के रूप में अपने क्षेत्र में नाम कमा रहे हैं।प्रख्यात संगीतकार और गायक स्वर्गीय रविन्द्र जैन, नृत्यांगना सोनल मान सिंह,नृत्यांगना सुधाचंद्रन,एवेरेस्ट फ़तेह करने वाली पहली दिव्यांग महिला अरुणिमा सिन्हा का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है। राजकीय संकेत मूक बधिर विद्यालय के प्रधानाचार्य नीरज सक्सेना,विद्यालय के छात्र समेत अन्य लोग मौजूद रहे ।