किसानों की आय दोगुनी करने के लिए हेतु अनेक कदम उठाये गये हैं: पीएम
U-जो किसान प्राकृतिक खेती से जुड़ चुके उनके अनुभव उत्साहवर्धक
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अटारी जोन 3 के निदेशक डॉ अतर सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 14-16 दिसम्बर 2021 को मनाई जा रही त्रिदिवसीय प्री-वाइब्रेंट गुजरात समिट 2021 के तीसरे व अंतिम दिन ‘प्राकृतिक कृषि पर राष्ट्रीय सम्मेलन’ कार्यक्रम में उद्बोधन दिया गया।कार्यक्रम का अयोजन अमूल, जिला आनंद, गुजरात में किया गया जिसमें राज्यपाल गुजरात आचार्य देवव्रत , अमित शाह-गृहमंत्री भारत सरकार, नरेन्द्र सिंह तोमर- कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री भारत सरकार एवं गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं अन्य मंत्रीगण भौतिक अथवा आनलाइन रूप में कार्यक्रम में उपस्थित रहे।इस अवसर पर कार्यक्रम को वर्चुअल माध्यम से संबोधित कर रहे प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का दिन महत्वपूर्ण दिन है, करीब 8 करोड़ किसान तकनीक के माध्यम से देश के कोने कोने से इस कार्यक्रम में जुड़े हैं। भले ही यह कन्क्लेव गुजरात में हो रहा है परन्तु इसका प्रभाव पूरे भारत में पड़ेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने हेतु अनेक कदम उठाये गये हैं। परन्तु अगर मिट्टी ही जवाब दे जाएगी तो क्या होगा, जब मौसम साथ नहीं देगा, भूगर्भ जल पर्याप्त मात्रा में नहीं रहेगा तो कृषि ही नहीं संभव हो पायेगी। कृषि में प्रयुक्त हो रहे विभिन्न केमिकलों से प्रकृति पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। कैमिकल एवं फर्टीलाइजर ने हरित क्रांति में काफी योगदान दिया परन्तु हमें इसके विकल्प पर ध्यान देना होगा। यह रासायन आदि विदेशों से एक्सपोर्ट होते हैं और महंगे भी पड़ते हैं तथा सेहत पर भी इससे विपरीत प्रभाव पड़ता है इसलिये इनसे परहेज बेहतर है। समस्या के विकराल होने से पहले ही बचाव के लिये कदम उठाना बेहतर है। हमें खेती को कैमिस्ट्री की लैब से निकालकर प्रकृति की प्रयोगशाला में जोड़ना होगा। यह प्रकृति की प्रयोगशाला पूरी तरह विज्ञान पर आधारित ही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सभ्यता किसानी के साथ फली-फूली है, आज जब दुनिया जैविक खाद्य उत्पादों की बात करती है तथा बैक टू बेसिक की बात करती है तो जड़ें भारत से जुड़ी दिखाई देती हैं। हमारे देश में प्राचीन श्लोकों में एवं कविताओं में भी प्राकृतिक खेती से जुड़ी तमाम जानकारियाँ हैं। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में हजारों किसान प्राकृतिक खेती को अपना चुके हैं। केन्द्र सरकार द्वारा शुरू की गई परंपरागत कृषि विकास योजना से भी किसानों लाभ मिल रहा है, इसमें किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है और प्राकृतिक खेती की तरफ बढ़ने के लिये मदद भी की जा रही है। जो किसान प्राकृतिक खेती से जुड़ चुके हैं उनके अनुभव उत्साहवर्धक हैं। प्रधानमंत्री ने किसानों से अवाह्न किया कि वे प्राकृतिक खेती को जन आन्दोलन बनाने के लिये आगे आयें। इस आजादी के अमृत महोत्सव में हर पंचायत का कम से कम एक गाँव जरूर प्राकृतिक खेती से जुड़े यह प्रयास हम सबको करना है। किसान खेत के कुछ हिस्से में प्राकृतिक खेती करके इससे जुड़ें और धीरे-धीरे इसका दायरा बढ़ायें। अमित शाह ने कहा कि भारत एवं राज्य सरकारों के प्रयास से प्राकृतिक खेती निरंतर बढ़ रही है। 1 ही देसी गाय से 30 एकड़ भूमि पर बिना अतिरिक्त लागत के प्राकृतिक कृषि संभव है। केंचुआ जितना खाद बनाता है उतना कोई भी जीव नहीं बनाता है, केंचुए के माध्यम से कम खर्च में कृषि होती है एवं भूगर्भ जल संचित होता है। देसी गाय का गोबर केंचुए के लिये आवश्यक है। देश-दुनिया जैविक उत्पादों की काफी मांग है।
प्रधानमंत्री द्वारा सहकारिता मंत्रालय की स्थापना पहली बार की गई है। किसानों को जैविक खाद्य उत्पादों का उचित दाम एवं बाजार मिले इस दिशा में सहकारित मंत्रालय कार्य कर रहा है। नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि आज से कई वर्षाें पहले गुजरात को कृषि की दृष्टि से अच्छा नहीं माना जाता था, पानी की कमी थी। प्रधानमंत्री मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उनके द्वारा गुजरात की कृषि में महत्वपूर्ण सुधार किये गये। प्रधानमंत्री जब से प्रधानमंत्री बने हैं, देश के किसान की आमदनी दोगुनी हो, देश की नई पीढ़ि कृषि से जुड़े इस दिशा में कार्य किये जा रहे हैं। प्रधामंत्री किसान सम्मान निधि योजना के माध्यम से 11.5 करोड़ किसानों को धनराशि उपलब्ध कराई गई, भारत सरकार द्वारा गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के माध्यम से उपलब्ध कराया जा रहा है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने हेतु भारत सरकार ने एक उपयोजना का भी प्रारंभ किया है एवं 8 राज्यों ने इस उपयोजना के अन्तर्गत कार्य करना भी प्रारंभ कर दिया है।राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने बताया कि गुरुकुल कुरूक्षेत्र हरियाणा में 35 वर्ष प्रधानाचार्य रहते हुए उनके द्वारा प्राकृतिक खेती का आवश्यकता को समझा एवं गुरुकुल के फार्म में रासायनिक खेती के नुकसान देखते हुए रासायनिक खेती छोड़ उनके द्वारा प्राकृतिक खेती प्रारंभ की गई। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में राज्यपाल रहते हुए उनके द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिये 2 वर्ष कार्य किया गया। 50 हजार किसानों ने इस खेती को अपनाया और वर्तमान में 1 लाख 35 हजार किसान प्राकृतिक खेती को अपना चुके हैं। हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती अपनाने से किसानों की आय 27 प्रतिशत तक बढ़ी एवं लागत में 56 प्रतिशत की कमी आई। राज्यपाल ने प्राकृतिक कृषि से जुड़े अपने अनुभव विस्तार से साझा किये। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सहित देश के समस्त संस्थानों, विश्वविद्यालयों व विद्यार्थियों, कृषि विज्ञान केन्द्रों में वैज्ञानिकों, कृषकों ने आनलाइन माध्यम से प्रधानमंत्री के उद्बोधन को सुना व वैज्ञानिकों द्वारा प्राकृतिक कृषि पर महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की।
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