शिवाला मंदिर में धूमधाम से मनाया गया श्री बैकुण्ठ उत्सव।
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। दक्षिण भारतीय 161 वर्षीय प्राचीन महाराज प्रयाग नारायण मंदिर शिवाला में श्री बैकुण्ठ उत्सव मनाया गया। यह उत्सव प्रतिवर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी से पूर्णमासी तिथि तक मनाया जाता है। उत्सव का मुख्य आकर्षण संस्कृत एवं तमिल भाषा में विशेष मंत्रोच्चारण के साथ एकादशी को 'बैकुण्ठ द्वार' जो कि प्रतिवर्ष एकादशी से पूर्णमासी तिथि तक खोला जाता है। असंख्य भक्तगण भगवान श्री बैकुण्ठनाथ के भव्य स्वर्ण सिंहासन को कंधे पर रखकर इसी बैकुण्ठ द्वार से बाहर आये। साथ में दक्षिण भारत के चार आचार्यों (अलवार) के रजत सिंहासन भी रहे। कोरोना महामारी गाइडलाइन का पालन करते हुए यह स्वर्ण सिंहासन शिवाला मंदिर प्रांगण के सभा मंडप में परंपरागत विशेष निर्मित अंगवस्त्रम एवं प्रसाद का सामूहिक वितरण किया। यह महोत्सव आम जनमानस में बड़े पेड़े वाले के नाम से चर्चित है। उत्तर भारत में वृंदावन के अतिरिक्त भक्ति एवं आस्था का यह स्वरूप केवल कानपुर के इसी मंदिर में देखने को मिलता है। भक्तजन इस दिन बैकुण्ठ द्वार से अंदर आकर एवं लौटकर अपनी आस्था प्रकट की। बैकुण्ठ द्वार आगामी पांच दिन तक खुला रहेगा।
उत्सव मंदिर के युवा प्रबंधक अभिनव नारायण तिवारी एवं अध्यक्ष विजय नारायण तिवारी मुकुल के नेतृत्व में संपन हुआ। उत्सव में वृंदावन, गोरखपुर नैमिषारण एवं अयोध्या आदि से अनके भक्त एवं आचार्यों ने भाग लिया। एकादशी का सार्वजनिक भण्डारा संपन हुआ। इस मौके पर बद्री नारायण तिवारी, राजेंद्र प्रसाद पांडेय, अनिल कुमार शर्मा, मनोज तिवारी, अजय कुमार मिश्र, रामानुजदास, करुणा शंकर, अश्वनी, अर्पित आदि लोग मौजूद रहे।