सरसों फसल को रोग एवं कीड़ों से बचाएं किसान : डॉ खलील।
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | सीएसए के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दलीप नगर के वैज्ञानिक डॉ खलील खान एवं फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉक्टर अजय कुमार सिंह ने संयुक्त रुप से सरसों फसल के रोग एवं कीड़ों से बचाव हेतु किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने बताया कि तिलहनी फसलों में सरसों का विशेष स्थान है। डॉ खान ने कहा कि इस समय माहू कीट या चेपा का प्रमुखता से सरसों की फसल में आक्रमण होता है। इस कीट के शिशु का पौधों के कोमल तनो, पत्तियों, फूलों एवं नई फलियों से रस चूस कर उसे कमजोर एवं क्षतिग्रस्त करते हैं। उन्होंने बताया कि आसमान में बादल घिरे रहने से इसका प्रकोप तेजी से होता है। इस कीट के नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 0.03% घोल का छिड़काव करें या फिर जैविक नियंत्रण हेतु फसल में 2% नीम के तेल को तरल साबुन के साथ( 20 मिलीलीटर नीम का तेल + 1 मिलीलीटर तरल साबुन) में मिलाकर छिड़काव करें। डॉक्टर अजय कुमार सिंह ने रोगों के बारे में बताया कि सरसों की फसल में काला धब्बा रोग भी लगता है। यह सरसों की पत्तियों पर छोटे-छोटे गहरे भूरे गोल धब्बे बनते हैं। जो बाद में तेजी से बढ़ कर काले और बड़े आकार के हो जाते हैं।उन्होंने बताया कि रोग की अधिकता में बहुत से धब्बे आपस में मिलकर बड़ा रूप ले लेते हैं। फल स्वरुप पत्तियां सूख कर गिर जाती हैं। यह लक्षण फसल में दिखाई देते ही डाईथेंन एम-45 का 0.2% घोल के दो छिड़काव 15 दिन के अंतराल पर करें। डॉ खलील खान ने किसानों से अपील की है कि वे अपनी सरसों की फसल की निगरानी अवश्य करते रहें। फसल पर रोग या कीट आने पर प्रबंधन करें। जिससे फसल को कीट और रोगों से बचाया जा सके।
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