भाजपा में शामिल हुईं मुलायम की बहू अपर्णा
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस लखनऊ समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव के भाजपा में शामिल होने की घटना अप्रत्याशित नहीं है। 2017 के विधानसभा चुनाव के ठीक बाद भी अपर्णा यादव के बीजेपी में जाने की अटकलें थीं। उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात भी की थी। 2022 के चुनाव नजदीक आए तो फिर से अपर्णा यादव के भाजपा में शामिल होने की अटकलें लगाई जाने लगीं। चर्चा ऐसी थी कि अपर्णा यादव लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से टिकट मांग रही हैं, हालांकि भाजपा नेतृत्व ने स्पष्ट किया है कि शामिल होने के लिए कोई पूर्व शर्त नहीं है।
दरअसल, मुलायम परिवार की बहू होने के कारण सपा को उनसे उम्मीद थी कि वह पार्टी लाइन पर चलते हुए काम करें लेकिन जिस तरह से वह कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ करती दिखीं, सियासी खिचड़ी पकने के संकेत मिलने शुरू हो गए थे। अपर्णा यादव मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं। अपर्णा यादव प्रतीक यादव को स्कूल के दिनों से ही जानती थीं। अपर्णा यादव की स्कूली शिक्षा लखनऊ के लोरेटो कॉन्वेट से हुई है। अपर्णा और प्रतीक की सगाई 2010 में हुई और दोनों का विवाह दिसंबर 2011 में हुआ। दोनों का विवाह मुलायम सिंह के पैतृक गांव सैफई में हुआ। प्रतीक और अपर्णा यादव की एक बेटी है जिसका नाम प्रथमा है।
यह पहली बार नहीं है जब मुलायम परिवार के किसी सदस्य ने सपा से अलग राह चुनी। संध्या यादव राजनीति में उतरने वाली पहली बेटी रहीं। मुलायम सिंह यादव के भाई अभयराम यादव की बेटी और धर्मेंद्र यादव की सगी बहन संध्या यादव ने अपना राजनीतिक सफर समाजवादी पार्टी के साथ ही शुरू किया था लेकिन पंचायत चुनाव के दौरान बीजेपी का दामन थाम लिया। संध्या यादव और उनके पति अनुजेश प्रताप यादव दोनों बीजेपी में शामिल हो गए थे।
एक वक्त था जब मुलायम परिवार के कई सदस्य लोकसभा और राज्यसभा में थे। शिवपाल यादव विधानसभा में थे और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी थे। परिवार के कई सदस्य जिला पंचायत अध्यक्ष, ब्लॉक प्रमुख, प्रधान, सहकारी बैंक अध्यक्ष जैसे पदों पर काबिज थे। 2012 में जब यूपी में समाजवादी पार्टी को बहुमत मिला तो परिवार के कई लोग चाहते थे कि मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ही बनें। कई दिनों तक परिवार में खींचतान चली। मीडिया की सुर्खियां बनीं लेकिन मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनवा दिया। इसके बाद ही परिवार में झगड़ा शुरू हो गया।