सब्जियों में भारतीय मसालों मे औषधि गुण से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है: डॉ. संजीव
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। सीएसए के सब्जी अनुभाग के मसाला वैज्ञानिक डॉ. संजीव व विभागाध्यक्ष डॉ. पी के सिंह ने संयुक्त रूप से एडवाइजरी जारी करते हुए बताया कि सब्जियों में भारतीय मसालों का प्रयोग अवश्य करें।जिससे मानव शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा होती है। कोरोना जैसे वायरस से बचा जा सकता है। डॉक्टर संजीव ने बताया कि भारत मसालों की भूमि है क्योंकि हमारा देश मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक, निर्यातक और उपभोक्ता है। उन्होंने बताया कि मसालों का प्रयोग भोज्य पदार्थों को सुगंधित, स्वादिष्ट और रुचिकर बनाता है। औषधि गुण होते हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक लगभग 90 मसालों की खेती की जाती है। तथा वर्तमान परिदृश्य में मसालों की उपयोगिता सिद्ध हो रही है।उन्होंने कहा कि अजवाइन में पाए जाने वाले स्टियोरोप्टिन को अजवाइन का सत भी कहा जाता है यह अतिसार,उदर शूल आदि रोगों में लाभकारी है। तथा धनिया में उड़न सील तेल कोरिण्ड्रॉल होता है यह विटामिन सी का अच्छा स्रोत है यह पाचन का कार्य करता है और पित्त को साफ कर अम्ल की प्रवृत्ति को रोकता है। उन्होंने कहा की मेथी में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन पाई जाती है यह कफनाशक, वातनाशक, ज्वर,मधुमेह एवं जोड़ों के दर्द में अत्यंत लाभकारी है। इसी प्रकार से लहसुन में एलिल प्रोपिल डाइऑक्साइड के कारण गंध होती है। इसका उपयोग पाचन विकार में किया जाता है। हल्दी में करक्यूमिन नामक पीला रवेदार पदार्थ होता है।जिसका प्रयोग रक्त विकार व विषम ज्वर में किया जाता है खांसी में हल्दी का चूर्ण लाभकारी होता है। सोंठ अदरक का सूखा हुआ रूप है यह उत्तम पाचक,कफ नाशक, व बात नाशक है स्वास रोग में अदरक का प्रयोग शहद के साथ लाभकारी है। इसी प्रकार से उन्होंने बताया कि कालीमिर्च यह मसालों का राजा है इसका स्वाद तीखा, सगंधीय, उत्तेजक एवं पाचन तंत्र को प्रभावित करता है अन्य मसालों के साथ प्रयोग करने से शारीरिक दुर्बलता व सर्दी, जुखाम दूर करता है। दालचीनी यह वृक्ष की छाल है इससे सर्दी,जुखाम एवं अपच की समस्या दूर होती है यह दस्त व उदर विकार में बहु उपयोगी है। उन्होंने कहा कि इन खाद्य मसालों का भोजन में प्रयोग करते हैं तो कई रोगों एवं वायरस से बचा जा सकता है।
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