किसानों की उम्मीदों पर मौसम का कहर
*आलू,टमाटर की फसल मे झुलसा रोग का प्रकोप
*तिलहनी व दलहनी फसलें भी चपेट मे
*सरसो व सब्जी की फसलों को होगा नुकसान
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस चिरईगाँव/वाराणसी-मौसम के बदलते मिजाज से न सिर्फ आम जन जीवन प्रभावित हुआ है बल्कि इसका असर अब फसलों पर भी स्पष्ट दिखने देने लगा है।भीषण ठंड के साथ कोहरे व पाले के प्रभाव से हो रही फसलों की क्षति को देखकर भीषण ठंड मे भी किसानों के माथे पर पसीना नजर आ रहा है।
कृषि विशेषज्ञों की माने तो गेहूँ व जौ की फसल को छोड़ दिया जाय तो रबी मौसम की लगभग हर फसल को नुकसान होना तय माना जा रहा है।सरसो की फसल मे माँहूं कीट का प्रकोप होने से उत्पादन को तगड़ा झटका लग सकता है।बीते कई दिनों से धूप न निकलने से फसलों की बढ़वार भी प्रभावित हुई है।
*कृषि वैज्ञानिकों का है कहना-*
कृषि विज्ञान केन्द्र कल्लीपुर के अध्यक्ष व वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा.नरेंद्र रघुवंशी ने बताया कि शीतलहर व मौसम के बदलते मिजाज से तिलहनी व दलहनी फसलों की क्षति होना तय माना जा रहा है।मौसम विभाग के अनुसार आगामी 25 जनवरी तक हल्की से मध्यम बरसात होने का अनुमान है। अधिकतम तापमान 16 से 21 एवं न्यूनतम तापमान 5 से 8 डिग्री सेंटीग्रेट होने के साथ ही अधिकतम आर्द्रता 71 से 98 प्रतिशत रहने का अनुमान है। ठंड के मौसम मे पाले से फसलों को बचाना किसानों के समक्ष बड़ी चुनौती है।ऐसे मौसम से गेहूँ व जौ की फसल को कोई क्षति नही होगी जबकि तिलहनी व दलहनी फसलों को क्षति होगी।
*दलहनी व तिलहनी फसलों पर संकट के बादल-* वरिष्ठ वैज्ञानिक डा.समीर कुमार पाडेय ने बताया कि ऐसे मौसम मेआलू,टमाटर व अन्य सब्जियों की फसलों के साथ ही दलहनी व तिलहनी फसलों मे पाले से नुकसान का खतरा बढ़ जाता है।बताया कि बैमौसम बरसात ,भीषण ठंडी व तापमान गिरने से फ्लावरिंग स्टेज पर पहुँच चुकी तिलहनी व दलहनी फसलों के फूलों के परागकणों पर भारी असर पड़ने से उत्पादन प्रभावित होगा।तापमान मे हो रही गिरावट के कारण झुलसा रोग,फूलों व फलों के सड़ने के साथ ही जड़ व तना पर आर्द्र गलन रोगों का प्रकोप बढ़ता है।
*सरसो की फसल मे माँहू कीट का प्रकोप-*
जिला कृषि रक्षा अधिकारी राजेश कुमार राय ने बताया कि यदि कुछ दिनों तक मौसम ऐसे ही बना रहा और पुरूआ हवाएं चली तो सरसो की फसल मे माहूँ कीट का प्रकोप बढ़ेगा ऐसे मे कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना चाहिए।आलू व टमाटर को झुलसा रोग से बचाने के लिए फफूंदनाशी दवाओं को आवश्यकतानुसार पानी मे घोलकर छिड़काव करना चाहिए।
जिला कृषि अधिकारी डा.अश्वनी कुमार सिंह का कहना था कि धूप न होने से पौधों मे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया मे बाधा पहुँचती है जिसके कारण फसलों की बढ़वार प्रभावित होती है।फसलों की समुचित बढ़ावार के लिए मौसम साफ होते ही टापड्रेसिंग के समय माइक्रोन्यूट्रिएंट का प्रयोग करना चाहिए।जिससे पोषक तत्वों की आपूर्ति हो सके और उत्पादन प्रभावित न हो।
*क्या करें किसान-*
जिला कृषि रक्षा अधिकारी राजेश कुमार राय ने बताया कि किसान भाई आलू की फसल को पाले से बचाने के लिए हल्की सिंचाईं करें साथ ही खेत की मेड़ो पर धुँआं करना चाहिए।आलू व टमाटर की फसल को झुलसा रोग से बचाने के लिए मैन्कोजेब 0.2 प्रतिशत व रिडोमिल 0.25 प्रतिशत नामक दवा मे से किसी एक दवा को आवश्यकतानुसार घोल बनाकर 8 से 10 दिन के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए।सरसों की फसल को माँहूं कीट से बचाने के लिए इमिडाक्लोरोप्रिड नामक दवा की 6 एम एल मात्रा को 15 लीटर पानी मे घोलकर छिड़काव करना चाहिए।