शरीर को धर्म और धरा की सेवा में लगाइए:शंकराचार्य
कन्नौज ब्यूरो पवन श्रीवास्तव के साथ प्रिंस श्रीवास्तव
हिंदुस्तान न्यूज एक्सप्रेस कन्नौज संवाददाता।मध्य प्रदेश के भानूपुरा पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य महाराज ने श्री मदभागवत कथा के दूसरे दिन शनिवार को यहां कहा कि पृथ्वी पर कलयुग का निवास विस्तृत हो रहा है।जिससे पृथ्वी देवी दुःखी हैं।देवताओं, पितरों, ऋषियों की पूजा अर्चना क्षीण हो रही है।उन्होंने यह भी कहा कि वर्णनाश्रमों में विकृतियां बढ़ रही है।भानुपुरा पीठाधीश्वर ने कहा कि पृथ्वी देवी को सुखी व खुशी करने से विश्व के मानव सुखी रह सकते है।स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि सत्य के साथ 39 गुण रहते है।जो सत्य के साथ चलता है।उसके साथ दया,शांति, त्याग, संतोष, ऋजुता, सम, दम, साम्य, तितिक्षा उपरति, श्रवण, ज्ञान, वैराग्य, ऐश्वर्य, शौर्य, तेज, बल, स्मृति, स्वतंत्र, कौशल, कान्ति, धैर्य, मृदुता, प्रगल्भय प्रश्रयसील, अजैता, सहिष्णुता,गांभीर्य, स्थौर्य,आस्तिक्य, कीर्ति, मान, अनअहंकार,कृतज्ञता, बुद्धि, सहनशीलता, सद्गुण ये सद्गुण विद्यमान रहकर अन्य महानता प्रदान करते है। स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि मनुष्य मनु के पहले नहीं था। प्राण नहीं रहने से शरीर नहीं रहेगा। यह सिद्ध है कि बीच में मिथ्या प्रतीत हो रही है।उपमा में वस्तु पदार्थ,भोग विलास,भटका सकते हैं।जिन्हे जानना समझना अति आवश्यक है।मिट्टी में घड़ा, लोहे में शस्त्र और सोने में कुंडल सिर्फ नाम मात्र के हैं।उन्होंने कहा कि मन की अल्पना, कल्पना सत्य के साथ कीजिए ताकि शांति प्राप्त की जा सके। उन्होंने कहा कि शरीर को धर्म और धरा की सेवा में लगाइए। शरीर के उद्धार के लिए सदा उत्कंठित रहे।व्यर्थ अनर्थ से बचे बचाएं।जीवन धन्य हो जायेगा।