भक्त की भावना को पूर्ण करते हैं भगवान: ज्ञानानंद तीर्थ
कन्नौज ब्यूरो पवन श्रीवास्तव के साथ प्रिंस श्रीवास्तव
हिंदुस्तान न्यूज एक्सप्रेस कन्नौज संवाददाता।मध्यप्रदेश के भानपुरा पीठ के शंकराचार्य श्री स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ ने श्रीमद्भभागवत कथा के तीसरे दिन कहा कि सम्पूर्ण संसार परमात्मा के अधीन है लेकिन परमात्मा ने स्वयं कहा है कि मैं भक्त के अधीन हूं। भक्त जब चाहे और जहां चाहे भगवान उसी रूप में प्रकट होते हैं।शंकराचार्य ने कहा कि भक्त की भावना को उनकी ह्रदय की आस्था को केवल भगवान ही समाज सकते है इसलिए जीव को अपना दुख संसार के सामने नहीं केवल प्रभु के सामने ही प्रकट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिर्फ भगवान ही पालनहार है और वह शरण में आए हुए हैं। हर भक्त की सारी विपदा को हर लेते हैं।स्वामी जी नें कहा कि हिरणाकश्यप के द्वारा प्रहलाद को तमाम यातनाएं दी गई और कहा गया कि वह भगवान का नाम लेना छोड़ दें लेकिन प्रह्लाद ने एक क्षण के लिए भी भगवान के स्मरण को उनके नाम जप को नहीं छोड़ा।उन्हे विष पिलाया गया,हाथी से कुचलवाया गया,अग्नि में जलाया गया परंतु उन्हें हर जगह अपने प्रभु का ही दर्शन हुए।उन्हें कहीं भी पीड़ा का एहसास नहीं हुआ।और पिता के पूछने पर प्रह्लाद ने कहा कि हमारे प्रभु इस पत्थर के खंबे में भी विराजमान है और भक्त की बात को सच करते हुए भगवान नरसिंह पत्थर के खभे से प्रकट हो गया और भक्त की इच्छा व भावना को पूर्ण करने के लिए वह कहीं भी किसी भी रूप में प्रकट हो सकते है।शंकराचार्य ने कहा कि जीव को किसी की निंदा और स्तुति करने की जगह केवल परमात्मा की चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रभु के चरित्रों को श्रवण, भगवत नाम जप से भगवान की कृपा निश्चित रूप से जीव को प्राप्त होती है।