श्रीराम चंद्र के राज तिलक के साथ संपन्न हुई नौ दिवसीय श्री राम कथा
-बालाजी गेस्ट हाउस में श्री बालाजी आदर्श सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित श्री रामकथा के नौवें दिन कथा पाण्डाल में उमड़ी श्रृद्धालुओं की भीड़
-कथा के अंतिम दिन श्रोताओं ने श्री राम के नाम के जयकारे लगाये
कन्नौज ब्यूरो पवन श्रीवास्तव के साथ प्रिंस श्रीवास्तव
हिंदुस्तान न्यूज एक्सप्रेस कन्नौज संवाददाता।
कन्नौज ब्यूरो पवन श्रीवास्तव के साथ प्रिंस श्रीवास्तव
हिंदुस्तान न्यूज एक्सप्रेस कन्नौज संवाददाता।श्री बालाजी आदर्श सेवा समिति के तत्वावधान में चल रही श्रीराम कथा के विश्राम दिवस में गुरुवार को कथा व्यास प्रशांतानंद चंदन ने राम राज्याभिषेक की कथा का रसपान कराते हुए कहा कि जब वशिष्ठ मुनि ने श्री राम का राज्याभिषेक तिलक किया तो श्री राम ने कहा कि राजा की गद्दी भोग विलास के लिए नहीं होती।राजा की गद्दी प्रजा को संतुष्ट करने के लिए होती है।रंजयति इति राजा प्रजा को जो राजी करे वही राजा है।कथा व्यास ने कहा कि जिस समय राज्याभिषेक हुआ उस समय चारों वेद दरबार में आए।भगवान शिव भी राज्याभिषेक के समय पहुंचे और उन्होंने स्तुति की कि बार बार वर मंगहु हरशि देहु श्रीरंग,पद सरोज अनपायनी भगति सदा सत्संग।कथा व्यास ने कहा कि पुरुष का जीवन रामजी जैसा होना चाहिए और स्त्री धर्म को सीता जी ने अपना चरित्र सामने रखकर जीवन व्यतीत करने का संदेश दिया।मनुष्य अपने धर्म का पालन करे तो उसे बहुत शांति मिलती है।कथा व्यास ने कहा कि श्रीराम जैसा पवित्र जीवन व्यतीत करो तो तुम्हारे घर में रामराज्य हो जायेगा।जिस घर में शांति है उस घर में कलयुग नहीं आता।राम राज का मतलब है धर्म का राज।जिस घर में धर्म का नीति का धन आता है सभी लोग संयम और सदाचार रखकर श्री राम का स्मरण करते हैं उस घर में कलयुग नहीं आता।जिस घर में वृद्धों को मान सम्मान मिलता है छोटे माता पिता की आज्ञा मानते हैं उस घर में भी कलयुग प्रवेश नहीं करता।कथा व्यास ने कहा कि राम चरित मानस में उत्तरकांड एक दो बार नहीं दस पंद्रह बार पढ़ना चाहिए। उत्तरकांड में सभी शास्त्रों का सार है।कथा के दौरान कन्नौज के प्रसिद्ध आल्हा गायक संग्राम सिंह को सम्मानित किया गया।प्रातः सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया गया।जिसमे पवन दुबे, अमित मिश्रा,प्रदीप दीक्षित,हिमांशु शुक्ला,राममोहन पागल,पवन श्रीवास्तव,मुकेश सविता,राघवेंद्र सिंह और गुड्डू गुप्ता,अमित मिश्रा,प्रिंस श्रीवास्तव,सौरभ श्रीवास्तव आदि ने भाग लिया।विष्णु कुमार शुक्ला ने भगवान के चित्र के सामने पूजन किया।