मेडिकल एवं पैरामेडिकल स्टाफ के लिये “शिशु संरक्षण” पर आयोजित हुई कार्यशाला।
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। जीएसवीएम के निर्देशन में मेडिकल एवं पैरामेडिकल स्टाफ के लिये “शिशु संरक्षण” पर एक कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यषाला का जीएसवीएम कार्यशाला का शुभारंभ जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा0 संजय काला, स्त्री रोग विभागध्यक्ष डॉ. नीना गुप्ता , बाल रोग विभागध्यक्ष डॉ. यशवंत राव, एसआईसी डॉ. आर. के. मौर्य , डॉ. रीता गुप्ता एवं डॉ. सीमा दिवेदी द्वारा डीप प्रज्वलित कर किया गाया।
मुख्य अतिथि डॉ. संजय काला ने बताया की संयुक्त राष्ट्र द्वारा रिपोर्ट में भारत में 2018 में 7,21,000 शिशुओं की मृत्यु देखी गई है । अतः इस तरीके के कार्यक्रमों का आयोजन शिशु मृत्युदर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस दौरान कार्यक्रम की प्रमुख संयोजक डॉ नीना गुप्ता ने “ ब्रेस्ट क्रावलिंग “ की जानकारी दी और बताया की डिलीवरी के पश्चात जितनी जल्दी स्तनपान कराया जाये वह नवजात शिशु के लिए उतना ही लाभदायक साबित होता है और हम इससे शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। तो वहीं इस कार्यशाला के विशेषज्ञ डॉ. यशवंत राव ने बताया कि प्रसव के बाद देखभाल और सुरक्षा कि कमी के कारण बच्चों को जीवन भर गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। शिशु संरक्षण उनलोगों की रक्षा करने का प्रयास करता है जिन्हें हमारी सुरक्षा की सबसे अधिक आवश्यकता है। प्रमुख वक्ता एवं प्रोग्राम संयोजक डा0 सीमा दिवेदी ने बताया कि शिशु संरक्षण की उपयोगिता को जनमानस तक पूर्णरूप पहुँचाने के लिए ही भारत सरकार ने 7 नवंबर को शिशु संरक्षण दिवस के रूप में चिन्हित किया है। यदि हम शांतिपूर्ण कल चाहते हैं तो नवजात शिशुओं के जीवन की रक्षा करना बहुत महत्वपूर्ण है। इस वर्ष , पर्याप्त विकास और देखभाल की उचित नीव को स्थिर करना प्रमुख लक्ष्य है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुगंध श्रीवास्तव द्वारा किया गया। इस दौरान कार्यशाला में लगभग 70 मेडिकल एवं पैरामेडिकल स्टाफ , मेट्रन हंसमोहिनी एवं शकुंतला लाल सहित विभाग के सभी संकाय सदस्य डॉ. रेनू गुप्ता, डॉ. शैली अग्रवाल, डॉ. पाविका लाल, डॉ. प्रतिमा वर्मा, डॉ. उरूज जहां, डॉ. गरिमा गुप्ता, डॉ. दिव्या दिवेदी, डॉ. अनीता गौतम, डॉ. रश्मि यादव, डॉ. सुचिता त्रिपाठी मौजूद रहे।
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