सौ से अधिक छात्रों वाले विद्यालयों में स्थापित होगा सोशियो इमोशनल लर्निंग रूम |
-जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जनपद स्तरीय समिति की बैठक संपन्न, दिए आवश्यक निर्देश |
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में छात्र मानसिक स्वास्थ्य तथा कोचिंग सेंटर विनियमों की निगरानी एवं कार्यान्वयन हेतु गठित जनपद स्तरीय समिति की बैठक आयोजित हुई। बढ़ती प्रतिस्पर्धा, कोचिंग संस्कृति और परीक्षा दबाव के चलते छात्रों में मानसिक तनाव और नकारात्मक प्रवृत्तियों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है।समिति का गठन 28 जुलाई 2025 को सुकदेव साहा बनाम आंध्र प्रदेश राज्य एवं अन्य में पारित सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के आधार पर किया गया है। बैठक को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि हाल के दिनों में कई छात्रों में आत्महत्या की प्रवृत्ति का विकास देखा गया है। यह एक सामाजिक त्रासदी है जिसे रोकने के लिए समाज, संस्थान और अभिभावक सभी को सजग होना होगा।जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि 100 या 100 से अधिक नामांकित छात्रों वाले सभी शैक्षिक संस्थानों में सोशियो इमोशनल लर्निंग (एसईएल) रूम की स्थापना की जाए। ये कक्ष छात्रों को सुरक्षित वातावरण, संवाद का अवसर और तनाव से निपटने की संरचित गतिविधियाँ प्रदान करेंगे। इन केंद्रों में मनोवैज्ञानिक परामर्शदाताओं की नियुक्ति की जाएगी, जो छात्रों को मानसिक दबाव, चिंता और नकारात्मक विचारों से उबरने में सहायता करेंगे। विद्यालयों में स्कूल वेलनेस कमेटी का गठन भी अनिवार्य होगा। डीएम ने स्वेच्छा से काम करने वाले वालंटियर्स को भी इस प्रणाली से जोड़ने के निर्देश दिए। डीआईओएस संतोष राय ने बताया कि प्रत्येक परिसर, कक्षाओं, छात्रावासों एवं सामान्य क्षेत्रों में राष्ट्रीय आत्महत्या हेल्पलाइन टेलीमानस के नंबर 14416 तथा 1800891416 को प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शित किया जाएगा, ताकि किसी भी छात्र या व्यक्ति को नकारात्मक भाव आने पर तत्काल परामर्श मिल सके। उन्होंने बताया कि जनपद में 289 पंजीकृत कोचिंग संस्थान हैं। इनमें 100 से अधिक छात्रों की संख्या वाले संस्थानों को पूर्णकालिक मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता अनिवार्य रूप से तैनात करना होगा, जबकि 100 से कम छात्रों वाले संस्थानों में अंशकालिक परामर्शदाता नियुक्त किया जाएगा। जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि प्रत्येक महाविद्यालय एवं कॉलेज एकरूप मानसिक स्वास्थ्य नीति तैयार करें और उसे समय-समय पर अद्यतन करते रहें। यह नीति उम्मीद मसौदा दिशा-निर्देशों, मनोदर्पण पहल तथा राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति से प्रेरित होनी चाहिए। सभी शैक्षणिक संस्थान इस नीति को अपनी वेबसाइट एवं नोटिस बोर्ड पर सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करेंगे। डीएम ने कहा कि यदि किसी छात्र या युवा में आत्महत्या से पूर्व की प्रवृत्ति या नकारात्मक भाव दिखाई दे तो संस्थान तत्काल उसके परिजनों को अवगत कराए। उन्होंने सभी संस्थानों को एक माह के भीतर अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए।बैठक में सीडीओ दीक्षा जैन, मनोचिकित्सक डॉ. चिरंजीवी प्रसाद, मनोवैज्ञानिक एल.के. सिंह, मनोवैज्ञानिक पूनम सिंह, समाजसेवी दिशा अरोड़ा, बीएसए सुरजीत सिंह, जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी विनय उत्तम सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।