ग्राम स्तरीय कृषि चौपाल में किसानों को दी पराली(धान पुआल) प्रबंधन की जानकारी
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | सीएसए के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर द्वारा ग्राम सूरजपुर विकास खंड मैथा में ग्राम स्तरीय कृषि चौपाल में किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में जानकारी दी गई।जिसमें पराली न जलाने और उसे वैज्ञानिक तरीके से संभालने के महत्व पर जोर दिया गया। मृदा वैज्ञानिक डॉ खलील खान ने किसानों को फसल अवशेषों को जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण और मिट्टी की उर्वरता में कमी के नुकसान बताए। साथ ही उन्हें सरकार द्वारा सब्सिडी पर उपलब्ध आधुनिक कृषि मशीनों और तकनीकों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया। जैसे कि पराली को खेत में मिलाकर खाद बनाना, सुपरसीडर एवं हैप्पीसीडर से गेहूं की बुवाई करने की सलाह दी। डॉ खान ने किसानों से वायु प्रदूषण को रोकने और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए पराली को जलाने से रोकने की अपील की।कृषि चौपाल में केंद्र के प्रभारी डॉक्टर अजय कुमार सिंह ने किसानों को फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए आधुनिक मशीनों और नई तकनीकों की जानकारी दी गई, जैसे कि इन-सीटू प्रबंधन, जिसमें पराली को सीधे खेत में जोत दिया जाता है।इस अवसर पर कृषि विभाग की योजनाओं के बारे में बताया गया। जिनमें किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए आधुनिक कृषि उपकरणों पर 50 से 80% तक सब्सिडी दी जा रही है। गृह वैज्ञानिक डॉक्टर निमिषा अवस्थी ने किसानों को पराली के अन्य उपयोगी उपयोगों के बारे में भी बताया गया, जैसे कि उसे खाद, पशु चारे या बायो-फ्यूल बनाने में उपयोग करना। इस अवसर पर कृषि विभाग के एटीम परमेश कमल, बीटीएम प्रशान्त कुशवाहा, प्रगतिशील कृषक राम कुमार, गंगादीन, सोनू पाल एवं बलराम सहित अन्य कृषक उपस्थित रहे।
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