आय का साधन मछली पालन
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति डॉक्टर डी.आर. सिंह के निर्देश के क्रम में आज विश्वविद्यालय के मत्स्य विशेषज्ञ डॉक्टर आनंद स्वरूप श्रीवास्तव प्रभारी मत्स्यकी ने बताया कि मत्स्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2018 -19 में प्रदेश में मछली का की उत्पादकता लगभग 4500 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी तथा प्रदेश में उत्पादन लगभग 6,62000 मीट्रिक टन था। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक विधि से मछली उत्पादन को और बढ़ाया जा सकता है। किसान भाई मत्स्य पालन के साथ-साथ बत्तख, उद्यान,पशुपालन कर अतिरिक्त लाभ अर्जित कर सकते हैं। उन्होंने बताया की मछली एक शक्ति वर्धक एवं पौष्टिक खाद्य पदार्थ है यह खाने में सुपाच्य होती है। और इसमें आवश्यक अमीनो एसिड तथा प्रोटीन भी अधिक मात्रा में पाई जाती है। इसके अतिरिक्त इसमें वसा, कैल्शियम व खनिज भी पाए जाते हैं जिसके कारण संतुलित आहार में मछली की विशेष उपयोगिता है। डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि गांव क्षेत्र में कृषक भाई अनुपयोगी तालाबों की सफाई करने के उपरांत उन्होंने बताया की वर्षा का मौसम मछली पालने के लिए उपयुक्त है। मत्स्य व्यवसाय एक श्रम प्रधान व्यवसाय है इस व्यवसाय में कम पूंजी लगाने पर अधिकतम लाभ अर्जित कर सकते हैं उन्होंने बताया कि मछली पालने के लिए तालाबों में उपस्थित खरपतवार ओं की सफाई कर ले। तालाबों में खरपतवार जैसे जलकुंभी, लैमिना, हाइड्रिला आदि होते हैं। अधिक जलीय वनस्पति होने की दशा में रसायनों का प्रयोग जैसे फ़रनेक्सान 8 से 10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तालाब में प्रयोग कर सफाई करनी चाहिए। उन्होंने बताया की मछलियों की बढ़वार में जल की छारीयता का विशेष महत्व है। मछली का अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए जल की छारियता 7.5-8.5 तथा घुलित ऑक्सीजन की मात्रा 5 मिलीग्राम प्रति लीटर आवश्यक होती है जल की उत्पादकता छारीयता का निर्धारण करने के लिए गोबर की खाद और चूने का प्रयोग किया जाता है उन्होंने बताया कि चूना जल की छारीयता का संतुलन करता है। वही गोबर की खाद से मछली का प्राकृतिक भोजन जिसे प्लेकटान कहते हैं उत्पन्न होता है उन्होंने कहा कि जब तालाब की तैयारी हो जाए तो मत्स्य विभाग के माध्यम से मछली के बच्चों की बुकिंग करा लें उन्होंने बताया कि आमतौर पर मछली पालन हेतु भारतीय मछली जैसे मेजर कॉर्प, ग्रास कॉर्प और सिल्वर कॉर्प का चयन सबसे उपयुक्त रहता है उन्होंने बताया की मत्स्य पालक 1 हेक्टेयर तालाब से प्रतिवर्ष ₹ 2 से 3 लाख की आमदनी प्राप्त कर सकते हैं।
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