कोरोना से होती मौतों के आंकड़ों पर अस्पताल कर रहे हेरा-फेरी
U- अस्पताल छुपा रहे अपनी नाकामी।
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। कोरोना से होने वाली मौतों की गिनती में घपला कर आंकड़े छिपाने का खेल चल रहा है। रोजाना होने वाली मौतो पर पर्दा डालकर स्वास्थ विभाग अपनी जान बचाने में जुटा है। गिनती के इस खेल में सरकारी ही नहीं निजी कोविड अस्पताल भी खिलाड़ी की भूमिका निभा रहे है, विभाग की ओर से रोजाना जारी होने वाली रिपोर्ट में 24 घंटे में हुई मौतों का आंकड़ा तो कम होता है, लेकिन उससे पहले की मौते कहीं ज्यादा होती है। रिपोर्ट में दो अलग अलग तर्क दिया जाता है कि पहले हुई मौतों की जानकारी देर से मिली। इसलिए पोर्टल पर अपडेट करने में विलंब हुआ। इस खेल के जरिए लोगों की ही नहीं बल्कि शासन की आंखों में धूल झोंककर कोरोना की भयावहता कम की जा रही है। मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कोरोना से 34 मौत होने की जानकारी दी गई. रोगियों की मौत शहर 13 कोविड अस्पतालों में बताई गई। इसमें खेल करते हुए 24 घंटों में मौतो का आंकड़ा सिर्फ 8 दिखाया गया ताकि यह संदेश जाए कि एक दिन में केवल इतने ही संक्रमितों की मौत हो हुई है। बाकि 26 मौतों को 24 घंटे के पहले का बताया जिन्हें पोर्टल पर देर से अपलोड किया। ये 26 मौते न मंगलवार और न ही सोमवार के आंकड़े का हिस्सा बनी। इस तरह 26 मौते बट्टे खाते में चली गई इस तरह सोमवार को 57 मौते की रिपोर्ट जारी की गई लेकिन 24 घंटे के आंकडे में सिर्फ छह मौते बताई गई. बाकी की 51 मौते किस दिन हुई यह स्वास्थ विभाग ही जाने। मई के आंकड़े में ये मौते अब किसी दिन में नहीं जोड़ी गई इस तरह से रविवार को 18 मौत हुई थी। लेकिन इस दिन के आंकड़े में सिर्फ सात मौत है। 11 मौते कब हुई यह भी कही नही है।
अस्पताल वाले क्यो नही करते है मौत को तुरंत अपडेट कोविड अस्पताल मौतों का आंकड़ा तुरंत अपडेट नहीं कर रहे है इसके पीछे कहानी बताई जा रही है कि उनसे जवाब तलब हो जाता है। इस वजह से वह देर से अपडेट करते है। स्वास्थ मंत्री अपर मुख्य सचिव सभी के आदेश है। पोर्टल पर आंकड़े तुरंत अपडेट किए जाए। कुछ अस्पताल लिखापढ़ी में देर होने की बात कर रहे है। लेकिन यह झूठ है। प्रतिदिन मौत का आंकड़ा अधिक होने पर शासन सख्ती करने लगता है। इस घपले से अधिकारी और अस्पताल संचालक बच जाते है। बहुत से ऐसे रोगियों की मौत हो जाती है जिनकी जांच रिपोर्ट नही आ पाती है। जब रिपोर्ट आती है तो पोर्टल पर आंकड़ा अपडेट कर दिया जाता है। इससे देर हो जाती है। इसके अलावा कुछ अस्पतालों में डाटा फीडिंग में देर हो जाती है। इससे भी आंकड़ा अपलोड होने में देर हो जाती है।देर से अपलोड होने वाले केस कुल संख्या में जोड़ दिए जाते हैं।
सरकारी आंकड़ोंं के अनुसार
-28 अप्रैल को 21 मौतों की रिपोर्ट जारी की गई। 10 का डाटा विलंब से अपडेट करने की जानकारी दी।
- 29 अप्रैल को 12 रोगियों की मौत की जानकारी दी। इनमें से दो मौतों की जानकारी देरी से अपडेट की।
- 30 अप्रैल को 20 मौतों की रिपोर्ट दी गई। इनमें से महज छह ही 24 घंटे के अंदर की बताई गईं।
- 01 मई को 21 मौत होने की रिपोर्ट जारी की। इनमें से सात का रिकॉर्ड देरी से अपडेट करने की जानकारी दी।
- 02 मई को 18 मौत की रिपोर्ट आई। इनमें से महज सात मौतें 24 घंटे के अंदर की बताई गईं।
- 03 मई को 57 मौतों का आंकड़ा जारी किया गया। इनमें से महज छह मौतें 24 घंटे के अंदर होने की जानकारी दी।
- 04 मई को जारी रिपोर्ट में 36 मौतें बताई गईं। इनमें से महज आठ 24 घंटे के अंदर की बताई गईं।
-वर्जन
बहुत से ऐसे रोगियों की मौत हो जाती है, जिनकी जांच रिपोर्ट नहीं आ पाती। जब रिपोर्ट आती है तो पोर्टल पर आंकड़ा अपडेट कर दिया जाता है। इससे देर हो जाती है। इसके अलावा कुछ अस्पतालों में डाटा फीडिंग में देर हो जाती है। इससे भी आंकड़ा अपलोड होने में देर होती है। देर से अपलोड होने वाले केस को कुल संख्या में जोड़ दिया जाता है।
- डॉ. एके सिंह, कार्यवाहक मुख्य चिकित्साधिकारी
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