सनातन धर्म में ब्रह्म मुहूर्त का है विशेष महत्व
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस वाराणसी उत्तर प्रदेश प्राध्यापक पं अमित कुमार पाण्डेय
श्री ब्रम्हा वेद विद्यालय अस्सी
आखिर क्यों माना जाता है 'ब्रह्म मुहूर्त' को महत्वपूर्ण. ?
।।मुहूर्ते बुध्येत् धर्माथर चानु चिंतयेत। कायक्लेशांश्च तन्मूलान्वेदत वार्थमेव च।।
किसे कहते हैं 'ब्रह्म मुहूर्त?
ब्रह्म का मतलब परम तत्व या परमात्मा। मुहूर्त यानी अनुकूल समय।
24 घंटे में 30 मुहूर्त होते हैं। 30 मुहूर्त में 8 प्रहर होते हैं। ब्रह्म मुहूर्त रात्रि का चौथा प्रहर होता है। चौथा प्रहर उषा नाम से है।
आठ प्रहर के नाम.....
दिन के चार .....1पूर्वान्ह, 2 मध्यान्ह, 3 अपरान्ह 4 सायंकाल।
रात्रि के चार.....1 प्रदोष 2 निशिथ, 3 त्रियामा,4 उषा।
सूर्योदय के पूर्व के प्रहर में दो मुहूर्त होते हैं। उनमें से पहले मुहूर्त को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं।
दिन-रात का 30वां भाग मुहूर्त कहलाता है अर्थात 2 घटी या 48 मिनट का कालखंड मुहूर्त कहलाता है।
उसके बाद वाला विष्णु का समय है जबकि सुबह शुरू होती है लेकिन सूर्य दिखाई नहीं देता। हमारी घड़ी के अनुसार प्रात: 4.24 से 5.12 का समय ब्रह्म मुहूर्त है।
प्रात: काल उठने के पश्चात हस्त दर्शन करते हुए यह श्लोक पढ़ना चाहिए....
।।करागे वसति लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती।
कर मूले स्थितो ब्रह्मा, प्रभाते कर दर्शनम्॥
ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाले लोग बुद्धिमान व उत्साही होते हैं और सोते रहने वालों का जीवन निस्तेज हो जाता है।
ब्रह्म मुहूर्त में क्या करें और क्या न करें जानिए...
ब्रह्म मुहूर्त में क्या करें.....ब्रह्म मुहूर्त में 4 कार्यों में से कोई एक कार्य करें:1.संध्या वंदन, 2.ध्यान, 3.प्रार्थना 4.अध्ययन।
वैदिक रीति से की गई संध्या वंदन सबसे उचित। उसके बाद ध्यान फिर प्रार्थना। संध्या वंदन के बाद अध्ययन करना चाहिए। अध्ययन के लिए यह समय सबसे उत्तम माना गया है।
।।ब्रह्ममुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी।
अर्थात : ब्रह्ममुहूर्त की निद्रा पुण्य का नाश करने वाली होती है।)ब्रह्म मुहूर्त में क्या न करें....नकारात्मक विचार, बहस, वार्तालाप, संभोग, नींद, भोजन, यात्रा, किसी भी प्रकार का शोर आदि।
ब्रह्म मुहूर्त में उठने का वैज्ञानिक महत्व जानिए.... वैज्ञानिक शोधों से ज्ञात हुआ है कि ब्रह्म मुहुर्त में वायुमंडल प्रदूषणरहित होता है। इसी समय वायुमंडल में ऑक्सीजन (प्राणवायु) की मात्रा सबसे अधिक होती है, जो फेफड़ों की शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण होती है।शुद्ध वायु मिलने से मन, मस्तिष्क भी स्वस्थ रहता है।आयुर्वेद के अनुसार इस समय बहने वाली वायु को अमृततुल्य कहा गया है। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर टहलने से शरीर में संजीवनी शक्ति का संचार होता है।यह समय अध्ययन के लिए भी सर्वोत्तम बताया गया है, क्योंकि रात को आराम करने के बाद सुबह जब हम उठते हैं तो शरीर तथा मस्तिष्क में भी स्फूर्ति व ताजगी बनी रहती है। सुबह ऑक्सिजन का लेवल भी ज्यादा होता है तो मस्तिष्क को अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान करता है जिसके चलते अध्ययन बातें स्मृति कोष में आसानी से चली जाती है।
ब्रह्म मुहूर्त में उठने का पौराणिक महत्व...
संपूर्ण वातावरण शांतिमय और निर्मल होता है। देवी-देवता इस काल में विचरण कर रहे होते हैं। सत्व गुणों की प्रधानता रहती है। प्रमुख मंदिरों के पट भी ब्रह्म मुहूर्त में खोल दिए जाते हैं तथा भगवान का श्रृंगार व पूजन भी ब्रह्म मुहूर्त में किए जाने का विधान है।
जल्दी उठने में सौंदर्य, बल, विद्या और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। यह समय ग्रंथ रचना के लिए उत्तम माना गया है।
वाल्मीकि रामायण के मुताबिक माता सीता को ढूंढते हुए श्रीहनुमान ब्रह्म मुहूर्त में ही अशोक वाटिका पहुंचे।
वर्ण कीर्ति मतिं लक्ष्मीं स्वास्थ्यमायुश्च विदन्ति। ब्राह्मे मुहूर्ते संजाग्रच्छि वा पंकज यथा॥
भाव प्रकाश सार-93
अर्थात : ब्रह्म मुहूर्त में उठने से व्यक्ति को सुंदरता, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य, आयु आदि की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से शरीर कमल की तरह सुंदर हो जाता है।
वेदों अनुसार ब्रह्म मुहूर्त के महत्व को जानिए..
वेदों में भी ब्रह्म मुहूर्त में उठने का महत्व और उससे होने वाले लाभ का उल्लेख किया गया है।
॥प्रातारत्नं प्रातरिष्वा दधाति तं चिकित्वा प्रतिगृह्यनिधत्तो।
तेन प्रजां वर्धयमान आयू रायस्पोषेण सचेत सुवीर:॥- ऋग्वेद-1/125/1
सुबह सूर्य उदय होने से पहले उठने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इसीलिए बुद्धिमान लोग इस समय को व्यर्थ नहीं गंवाते।
सुबह जल्दी उठने वाला व्यक्ति स्वस्थ, सुखी, ताकतवाला और दीर्घायु होता है।
॥यद्य सूर उदितोऽनागा मित्रोऽर्यमा।
सुवाति सविता भग:॥- सामवेद-35
व्यक्ति को सुबह सूर्योदय से पहले शौच व स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद भगवान की पूजा-अर्चना करना चाहिए।
इस समय की शुद्ध व निर्मल हवा से स्वास्थ्य और संपत्ति की वृद्धि होती है।
॥उद्यन्त्सूर्यं इव सुप्तानां द्विषतां वर्च आददे॥- अथर्ववेद- 7/16/२
सूरज उगने के बाद भी जो नहीं उठते या जागते उनका तेज खत्म हो जाता है।
व्यावहारिक महत्व.... अच्छी सेहत, ताजगी और ऊर्जा पाने के लिए ब्रह्ममुहूर्त बेहतर समय है। क्योंकि रात की नींद के बाद पिछले दिन की शारीरिक और मानसिक थकान उतर जाने पर दिमाग शांत और स्थिर रहता है।
वातावरण और हवा भी स्वच्छ होती है। ऐसे में देव उपासना, ध्यान, योग, पूजा तन, मन और बुद्धि को पुष्ट करते हैं।