जैव जो उपलब्ध कराते है,फसलों को पोषक तत्व: डॉ पाल
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। सीएसए के प्रसार निदेशालय के सहायक प्राध्यापक डॉ. एस.बी. पाल ने बताया कि जैव उर्वरकों का प्रयोग करना फसलों के लिए पोषक तत्व उपलब्ध कराने का एक अच्छा स्रोत है। डॉक्टर पाल ने कहा कि जैव उर्वरक मूलत जीवाणुओं का संग्रह है। जो पौधों के लिए पोषक तत्व उपलब्ध कराते हैं। उन्होंने कहा कि जैव उर्वरक प्रयोग करने से मृदा एवं जल दूषित नहीं होते हैं। क्योंकि यह मृदा के ऊपरी हिस्से में रहकर अपना जीवन यापन करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जैव उर्वरकों को एक बार उपयोग में लाने से यह कई वर्षों तक मृदा में बने रहते हैं।तथा पौधों को पोषक तत्व उपलब्ध कराते रहते हैं।जिसके कारण फसलों की उत्पादकता में दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।अपितु उत्पादकता में वृद्धि होती है। प्रसार निदेशालय की सहायक प्राध्यापक डॉक्टर अनिल कुमार सिंह ने बताया कि पीएसवी जीवाणु जो मृदा में स्थिर एवं अघुलनशील फास्फोरस को घुलनशील बनाने का कार्य करता है। डॉक्टर सिंह ने बताया कि 30 से 50 किलोग्राम फास्फोरस प्रति हेक्टेयर पौधों को उपलब्ध हो जाता है इसके साथ ही उन्होंने बताया कि फास्फोरस की उपलब्धता में 10 से 15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की वृद्धि हो जाती है। डॉक्टर अनिल कुमार सिंह ने बताया कि जैव उर्वरकों से बीज मृदा एवं जड़ शोधन किया जाता है। बीज उपचार हेतु उन्होंने बताया कि 200 ग्राम का जैव उर्वरक 10 किलोग्राम बीज के लिए पर्याप्त होता है। इसके बाद बीजों की बुवाई कर देते हैं। इसी प्रकार जड़ उपचार के लिए बताया कि 20 पैकेट जैव उर्वरक को 20 से 25 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टेयर की जड़ों हेतु 30 मिनट तक जड़ों को डुबोकर उपचारित करते हैं। मृदा उपचार के लिए डॉक्टर मिश्रा ने बताया कि 5 किलोग्राम जैव उर्वरक को 50 किलोग्राम गोबर में मिलाकर 24 घंटे रखने के बाद एक हेक्टेयर खेत में समान मात्रा में बिखर देते हैं।उन्होंने कहा कि जैव उर्वरक प्रयोग से सभी फसलों को लाभ होता है। जिससे कि फसल उत्पादन लागत में कमी आती है। और किसान की आय में वृद्धि होती है।
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