सम्मान देने से भगवान की कृपा बरसती हैःशंकराचार्य
-कथा के विश्राम दिवस पर सुदामा चरित्र की कथा सुनाते हुए शंकराचार्य ने भक्तों को किया भावविभोर
कन्नौज ब्यूरो पवन श्रीवास्तव के साथ प्रिंस श्रीवास्तव
हिंदुस्तान न्यूज एक्सप्रेस कन्नौज संवाददाता।अवान्तर भानपुरा पीठ मध्यप्रदेश के जगतगुरु शंकराचार्य श्री स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ ने तलैया पुलिस चौकी के सामने गुरुवार को कथा के विश्राम दिवस पर सुदामा चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि द्वारकाधीश ने अपने पुराने सखा सुदामा के आने का समाचार जैसे ही सुना वैसे ही मुख्य द्वार पर पहुंच गए और उन्हें सिंहासन पर बैठा कर उनके चरण धोकर उनका सम्मान किया। श्री शंकराचार्य ने कहा कि सम्मान देने से भगवान की कृपा बरसती है। भगवान भक्त वत्सल है। झुकना जिंदा की पहचान होती है इसलिए जीवन में झुकना सीखो।श्री स्वामी जी ने कहा कि जिस पर मां और महात्मा की कृपा हो जाए उस पर भगवान कृपा करते हैं। जिसका मन छोटा हो जाता है उसके कल्याण में बाधा आ जाती है। जो उदार होगा उसी का उद्धार होगा। हमारी सनातन संस्कृति में कहा गया है कि सभी के प्रति उदारता रखो। स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि आज समाज को इसकी बहुत जरूरत है।प्रभु को दौलत से नहीं रिझाया जा सकता क्योंकि प्रभु तो स्वयं लक्ष्मी के पति है। भगवान केवल प्रेम से वश में होते हैं।जो भगवान के सामने रोता है उसे संसार कभी नहीं रुला सकता।श्री शंकराचार्य ने कहा कि संग्रह किए धन का दान करना चाहिए और आवश्यकतानुसार ही संग्रह करना चाहिए। मन और इंद्रीय में दोष न आने दें।चंद्रमा की कला घटती बढ़ती रहती है लेकिन चंद्रमा ज्यों का त्यों रहता है। श्री स्वामी जी ने कहा कि पृथ्वी से उत्पन्न होने वाले वृक्षों से कुछ सीखना चाहिए। वृक्ष बहुत परोपकार करते हैं।मनुष्य के अंदर सहनशीलता और परोपकार परायण होना चाहिए।उन्होंने कहा कि आशा ही दुखो का कारण है। अपना शरीर अपना गुरु है।इसे परोपकार में लगाओ। आज विधिविधान पूर्वक राधा कृष्ण,शिव परिवार सहित श्याम बाबा की मूर्ति वैदिक मंत्रोच्चार के साथ स्थापित की गई तथा भव्य श्रृंगार किया गया।कथा विश्राम के बाद महाआरती का आयोजन किया गया जिसमे बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।शुक्रवार को यज्ञ की पूर्णाहुति होगी और विशाल भंडारे का आयोजन होगा।