सावन के तीसरे सोमवार को बिहारेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन करने उमड़ी भक्तों की भीड़।
U- दूर-दूर से दर्शन करने पहुंचे भक्त, ॐ नमः शिवाय की गूंज
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस घाटमपुर: तहसील क्षेत्र के कानपुर-सागर राष्ट्रीय राजमार्ग पर हाइवे किनारे अज्योरी गांव में बिहारेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। यह मंदिर अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए है, इस मंदिर की ख्याति आसपास जनपदों तक फैली हुई है। इस मंदिर की मान्यता है, कि मंदिर के मुख्य द्वार पर लगे शिलालेख की नाप हर बार अलग-अलग निकलती है। सावन में आसपास जनपदों से लोग यहां दर्शन करने पहुंचते हैं। वही मंदिर परिसर में मेला भी लगता है।
घाटमपुर तहसील क्षेत्र के अज्योरी गांव स्थित बिहारेश्वर महादेव मंदिर मुगलकालीन का बताया जाता है। बुजुर्ग बताते है, कि राजा अकबर के नवरत्नों में से एक बीरबल ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। यह भी कहा जाता है कि औरंगजेब की कैद से छूटकर आए मराठा छत्रपति शिवाजी ने इसी मंदिर में डेढ़ साल तक अपना भेष बदलकर रहे थे। मंदिर की गर्भग्रह में बलुआ रंग का शिवलिंग स्थापित है। यहां पर दूर - दूर से आने वाले भक्त अपनी मनोकामना मांगते है। बिहारेश्वर महादेव सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं।
- बिहारेश्वर महादेव मंदिर की विशेषता
बिहारेश्वर महादेव मंदिर ककई ईटों से बना हुआ है। यहां पर सावन के महीने में हर सोमवार को मेला लगता है, जिसमे यहां पर बड़ी संख्या में पहुंचने वाले भक्त बाबा को बेल पत्र चढ़ाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करते है, जिसके बाद मेला घूमते है। कानपुर-सागर राष्ट्रीय राज्यमार्ग से खजुराहो जाने वाले सैलानी भी इस प्राचीन मंदिर में दर्शन करने के लिए भक्त ठहरते हैं। यहां पर सावन में भक्त कांवर भी चढ़ाते हैं।
- बोले भक्त...
रवाईपुर गांव निवासी चंद्रपाल ने बताया कि बिहारेश्वर महादेव मंदिर में पहुंचने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह मंदिर आसपास के गांव के लोगों के लिए प्रमुख आस्था का केंद्र है। घाटमपुर नगर निवासी धर्मेद्र शुक्ला उर्फ डब्बू ने बताया कि यहां पर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने से कष्ट दूर होते हैं। यहां पर आने वाले भक्तों की बाबा सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
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