श्री राम ने तोड़ा शिव धनुष तो शुरू हुई लक्ष्मण परशुराम संवाद
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस रोहनिया बाजार में श्री रामलीला के आज तीसरे दिन में श्री राम जी के द्वारा शिव धनुष तोड़े जाने के कारण जब परशुराम जी क्रोधित हो जाते हैं तब उन के क्रोध को देखकर जनक जी के दरबार में सभी लोग भयभीत हो गए तो श्री राम ने आगे बढ़कर परशुराम जी से कहा कि भगवान शिव के धनुष को तोड़ने वाला उनका ही कोई एक दास होगा । श्री राम के वचन सुनकर क्रोधित परशुराम जी उनसे बोले कि सेवक वह कहलाता है , जो सेवा का कार्य करता है । शत्रुता का काम करके तो लड़ाई ही मोल ली जाती है । जिसने भगवान शिव जी के इस धनुष को तोड़ा है , वह सहस्रबाहु के समान उनका शत्रु है । फिर वे राजसभा की तरफ देखते हुए कहते हैं कि जिसने भी शिव धनुष तोड़ा है वह व्यक्ति खुद बखुद इस समाज से अलग हो जाए , नहीं तो सभा में उपस्थित सभी राजा मारे जाएँगे । परशुराम जी के इन क्रोधपूर्ण वचनों को सुनकर लक्ष्मण जी मुस्कुराए और बोले कि *बहु धनु ही तोरी* *लरकाई प्रभु की रिस काई*, इस पर परशुराम जी बहुत क्रोधित होते है और बोलते है कि *रे नृप बालक काल बस बोलत* *तुहीं ने संभाल धनु ही मम त्रिपुरारि* धनु विदित सकल संसार। इस प्रकार आपसी संवाद चौपाइयों के माध्यम से दोनों के बीच संवाद शुरू होता है। वही दूरदराज से आए हुए रामलीला प्रेमी रामलीला का आनंद लेते रहें आयोजन समिति द्वारा लगभग सैकडो राम भक्तो को प्रसाद वितरण किया जाता है
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