भागवत की कथा से मानव को होता कर्तव्यबोध:आदित्य मनोहर
-वामन भगवान की सजीव झांकी देख मंत्रमुग्ध हुये श्रोता
कन्नौज ब्यूरो पवन श्रीवास्तव के साथ आलोक प्रजापति
हिंदुस्तान न्यूज एक्सप्रेस कन्नौज संवाददाता।मनुष्यों के क्या-क्या कर्तव्य हैं इसका बोध भागवत कथा सुनकर ही होता है। विडंबना ये है कि मृत्यु निश्चित होने के बाद भी हम उसे स्वीकार नहीं करते हैं। निस्काम भाव से प्रभु का स्मरण करने वाले लोग अपना जन्म और मरण दोनों सुधार लेते हैं। यदि आपके हृदय में भगवान का वास है तो श्रीहरि पाप, पाखंड, रजोगुण, तमोगुण से हमेशा दूर रखते हैं। यह विचार नगर के मोहल्ला अशोक नगर स्थित लाला लक्ष्मी नारायण की बगिया में चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा के तृतीय दिवस पर कथा व्यास आदित्य मनोहर पाठक ने व्यक्त किए। कथा व्यास ने कहा कि प्रभु जब अवतार लेते हैं तो माया के साथ आते हैं। साधारण मनुष्य माया को शाश्वत मान लेता है और अपने शरीर को प्रधान मान लेता है। जबकि शरीर नश्वर है। उन्होंने कहा कि भागवत बताता है कि कर्म ऐसा करो जो निस्काम हो वहीं सच्ची भक्ति है। इसके बाद मौजूद श्रोताओ को परसाद वितरित किया गया। आयोजक प्रेमा देवी, परीक्षित गगन मनीष, नीलम व कंचन, अनीता, आराधना, पूजा, सुधा, मनीषा, बीना सहित पं. राकेश चन्द्र दुवे, बीके शर्मा, मनोज शुक्ला, अरूण कुमार, दीपेन्द्र गुप्ता, नेमसिंह यादव, पिंटू गुप्ता सहित तमाम लोग मौजूद रहे।