काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के त्रयम्बकेश्वर सभागार में हुआ संगोष्ठी का आयोजन
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस वाराणसी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा इंडिया थिंक काउंसिल के सहयोग से किया गया।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता मिजोरम के महामहिम राज्यपाल श्री के हरी बाबू जी थे जो कि दो दिवसीय धार्मिक यात्रा पर वाराणसी में आये हुए हैं।
राज्यपाल महोदय अपने इस तीर्थयात्रा के क्रम में ,अयोध्या से होते हुए आज सुबह सपत्नीक श्री विश्वनाथ जी के दर्शन , पूजन के उपरांत भौमेश्वर महादेव का रुद्राभिषेक किया।तत्पश्चात महामहिम ने काशी कॉरिडोर का अवलोकन और मां गंगा का दर्शन भी किया। इसके उपरांत संगोष्ठी में धार्मिक अर्थव्यवस्था तथा तीर्थाटन विकास पर अपने विचार रखे।राज्यपाल महोदय ने बताया कि सनातन परंपरा में बहुदेव पूजन प्रथा और मान्यता का परिणाम है कि भक्त अलग अलग स्थानों पर अपने आराध्य दर्शन हेतु तीर्थ यात्रा पर जाते हैं और तीर्थ यात्रा की समस्त आवश्यकताएं अर्थव्यवस्था में योगदान करती है मंदिर की अर्थव्यवस्था से नए रोजगार सृजन तथा व्यापार को बढ़ावा मिलता है तथा समाज के हर वर्ग को अवसर मिलता है भले ही वह किसी अन्य धर्म का अनुयायी हो। काशी मंदिर परिसर के भ्रमण के उपरांत राज्यपाल महोदय अत्यंत प्रसन्न थे। वह अपनी पहली काशी यात्रा पर आये है और उन्होंने कहा काशी आकर ऐसा लग ही नहीं रहा कि यहां पहली बार आये है ।
महामहिम ने कहा मंदिर की व्यवस्था और सौंदर्य अत्यधिक प्रभावशाली है। उन्होंने सुझाव दिया की भारत के प्रत्येक राज्य के ट्रेवल ऑपरेटर के साथ मिलकर ऐसी योजना बनायी जाये जिससे उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थलों के टूर पैकेज का विकल्प पर्यटकों के समक्ष प्रस्तुत किया जा सके।इससे निकटवर्ती पहाड़ियों, जलप्रपातों, बड़ी वाटर बॉडीज एवं अन्य धर्मस्थलों इत्यादि के समेकित विकल्प के एक पैकेज में उपलब्ध होने पर और भी अधिक तीर्थ यात्री काशी दर्शन हेतु आयेंगे ।
संगोष्ठी में मंदिर के न्यास के सदस्य गण और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के विद्वत आचार्य जन तथा वैदिक विद्वान उपस्थित रहे।कार्यक्रम में स्वागत सम्बोधन न्यास के सदस्य श्री ब्रज भूषण ओझा ने किया। तत्पश्चात काशी माहात्म्य तथा कॉरिडोर के विकास पर विस्तृत प्रकाश प्रख्यात विद्वान प्रो० जनार्दन माधव रटाटे जी द्वारा प्रस्तुत किया महामहिम के विद्वतापूर्ण संबोधन के पश्चात धन्यवाद ज्ञापन करते हुए मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री विश्व भूषण ने कहा कि काशी में यह स्थापित मान्यता है कि किसी देव विग्रह की विश्व में कहीं भी प्राण प्रतिष्ठा तब तक नहीं पूर्ण होती जब तक उसकी अंश स्थापना काशी में न की जाय। यही कारण है कि द्वादश ज्योतिर्लिंग, 51 शक्तिपीठ, चारों धाम समेत समस्त पौराणिक मंदिरों की प्रतिकृति यहां स्थापित हैं।इसी प्रकार यह भी स्थापित मत है कि किसी विद्वान की विद्वता तब तक मान्य नहीं होती जब तक उसे काशी का विद्वत् समाज मान्यता न प्रदान करे। मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने कहा कि श्री काशी विश्वनाथ धाम में आयोजित यह विद्वत् सभा निश्चय ही महामहिम को आज विद्वता के क्षेत्र में स्वीकार्य करती है ऐसा सभा की प्रतिक्रिया से सिद्ध हो गया है।कार्यक्रम का संचालन कर रहे इंडिया थिंक काउंसिल के निदेशक श्री सौरभ पाण्डेय ने अत्यंत अल्प समय में महामहिम द्वारा कार्यक्रम हेतु सहमति देने तथा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा इतना भव्य आयोजन सुनिश्चित करने हेतु आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के पश्चात महामहिम ने धाम में सूक्ष्म जलपान कर यहां से प्रस्थान किया।