विश्व पर्यावरण दिवस पर इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने किया वृक्षारोपण
U- आज कल के बच्चों की एक्टिविटी काफी कम होने से शारीरिक क्षमता भी कम:डॉ. यशवंत
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर गुरुवार को इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स कानपुर शाखा ने विशेष वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग में किया। कार्यक्रम का आयोजन बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए पर्यावरण संरक्षण की भावना को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया।
वरिष्ठ बाल रोग चिकित्सक डॉ. यशवंत राय ने बताया कि प्रदूषण के कई रूप होते हैं। वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण, मानसिक व भावनात्मक प्रभाव, इनडोर प्रदूषण। इस सभी प्रदूषण का ध्यान में रखना होगा। आज कल के बच्चों की एक्टिविटी काफी कम हो गई है। इस कारण से उनकी शारीरिक क्षमता भी कम हो रही है। इसलिए सुबह की एक्टिविटी आपके बच्चों को बीमारियों से लड़ने की ताकत देती हैं। डॉ. राज तिलक ने बताया कि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, पर्टिकुलेट मैटर जैसे हानिकारक कण बच्चों के फेफड़ों के विकास को धीमा करते हैं। इससे अस्थमा, बार-बार खांसी-जुकाम, निमोनिया और क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं। अध्ययन बताते हैं कि लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने वाले बच्चों में फेफड़ों की कार्यक्षमता सामान्य से 20-30% तक कम हो सकती है।
एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स कानपुर की अध्यक्ष डॉ. रोली मोहन श्रीवास्तव ने बताया कि सीसा, आर्सेनिक और प्लास्टिक माइक्रोपार्टिकल्स से दूषित जल के सेवन से बच्चों में विकास रुकना, पेट के रोग, त्वचा की एलर्जी और यहां तक कि मानसिक विकास में बाधा जैसे दुष्प्रभाव देखे जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि ध्वनि प्रदूषण भी खतरनाक है, जिसमें की ईयर फोन तो सबसे ज्यादा नुकसान दायक है। तेज आवाजें बच्चों के मानसिक संतुलन को बिगाड़ता हैं। नींद में बाधा, सिरदर्द, पढ़ाई में ध्यान न लगना और लंबे समय में सुनने की क्षमता प्रभावित होना आम शिकायतें हैं।