डीएम ने 11 टीबी मरीजों को लिया गोद, प्रदान की पोषण पोटली
*टीबी को हराने के लिए जन सहभागिता एवं जागरूकता जरूरी:डीएम
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर।जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने आज कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित कार्यक्रम में स्वयं द्वारा गोद लिए गए 11 क्षय रोगियों को पोषण पोटली प्रदान की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने टीबी को समाप्त करने का राष्ट्रीय लक्ष्य वर्ष 2025 तक निर्धारित किया गया है और इसे केवल सरकारी प्रयासों से नहीं, बल्कि जन सहभागिता और व्यापक जागरूकता से ही पूरा किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि क्षय रोग का समुचित इलाज संभव है और यह कोई लाइलाज बीमारी नहीं है। समय पर पूरी दवा लेने और पौष्टिक भोजन से मरीज स्वस्थ जीवन की ओर लौट सकता है। यह केवल एक व्यक्ति का नहीं, पूरे समाज का लाभ है।
जिलाधिकारी ने कहा कि इस अभियान में समाज के प्रत्येक वर्ग की भागीदारी आवश्यक है। आम नागरिकों के साथ‑साथ निजी चिकित्सा संस्थानों, औद्योगिक इकाइयों और स्वयंसेवी संगठनों को आगे आना चाहिए। जितने अधिक लोग टीबी मरीजों को गोद लेंगे, उतनी ही तेज़ी से यह बीमारी नियंत्रित होगी। उन्होंने उपस्थित लाभार्थियों को सलाह दी कि वे नियमित रूप से दवा लें और डॉक्टर की सलाह का पालन करें। पोषण पोटली में चना, दाल, गुड़, तेल, चिउड़ा और ड्रायफ्रूट्स जैसी सामग्री दी गई है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होगी। डीएम आगामी छह माह तक गोद लिए टीबी मरीजों को निजी खर्चे से पोषण पोटली देंगे।
कार्यक्रम में मौजूद लोगों को राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत संचालित योजनाओं की जानकारी भी दी गई। बताया गया कि टीबी मरीज किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए निःशुल्क हेल्पलाइन नंबर 1800-11-6666 पर संपर्क कर सकते हैं। जिलाधिकारी द्वारा गोद लिए गए सभी मरीजों ने आभार व्यक्त करते हुए दवा का कोर्स पूरा करने का संकल्प दोहराया।
इस अवसर पर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुबोध, एनटीईपी टीम के सदस्य, संबंधित अधिकारीगण एवं लाभार्थी उपस्थित रहे।
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*टीबी मरीजों को 2.33 करोड़ रुपये की सहायता राशि हुई हस्तांतरित*
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. सुबोध प्रकाश ने बताया कि निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत जनपद के 14,546 क्षय रोगियों को दो माह की किश्त के रूप में कुल 2.33 करोड़ रुपये की धनराशि उनके बैंक खातों में भेजी गई है। प्रत्येक मरीज को छह माह की उपचार अवधि में एक हजार रुपये प्रतिमाह की सहायता दी जाती है, जिससे वह पौष्टिक आहार प्राप्त कर सके।