केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों ने हक हुकूक के लिए किया हल्ला बोल
U-सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण और मुद्रीकरण पर तत्काल लगाई जाय रोक
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | श्रमायुक्त कार्यालय पर केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के तत्वावधान में इंटक, एटक, एच एम एस, सीटू, एक्टू, ए आई यू टी यू सी,, टी यू सी सी, बैंक, रेलवे, एफ सी आई, डिफेंस, रेलवे, एल आई सीआदि प्रतिष्ठानों की यूनियनों के श्रमिक नेताओं ने सैकड़ों की तादाद में शामिल श्रमिकों को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने मज़दूर और किसान वर्ग के साथ धोखा कर श्रम संहिताओं को लागू करने का काम किया है। पूरे देश का मेहनतकश जनता इसकी पुरजोर विरोध करते हुए मांग कर रही है कि संहिताओं को तत्काल निरस्त किया जाए, क्योंकि वे श्रमिकों के अधिकारों और हितों को कमजोर करती हैं।राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन अपर/उप श्रमायुक्त को दिया गया मजदूरी संहिता,औद्योगिक संबंध संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य दशा संहिता को वापस लिया जाए और फिक्स्ड-टर्म नौकरी के नाम पर ठेका और कच्ची नौकरी को स्थायी किया जाए, 12 घंटे काम के घंटे करने के प्रावधान को खत्म करें, और यूनियन बनाने और हड़ताल के अधिकार पर प्रतिबंध समाप्त किया जाए। न्यूनतम वेतन को मजबूत करने, जिला स्तर पर श्रम न्यायालयों को बहाल करने, और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण पर तत्काल रोक लगाएं। 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे करने के प्रस्ताव का विरोध करते हुए, वे काम के घंटों को पूर्ववत किया जाए। श्रम संहिताओं के तहत यूनियन बनाने और हड़ताल करने के अधिकार पर लगाए गए प्रतिबंधों को खत्म किया जाए। न्यूनतम वेतन के निर्धारण के पुराने कानूनी प्रावधानों को मजबूत करें और फ्लोर न्यूनतम वेतन की अवधारणा को समाप्त किया जाए। न्यूनतम मजदूरी 36,000/- रुपये निर्धारित किया जाए।सार्वभौमिक पेंशन योजना लागू करना जिसमें न्यूनतम पेंशन 8,000/ रुपये घोषित किया जाए और न्यूनतम मजदूरी के दायरे में योजना श्रमिकों को शामिल किया जाए। फिक्स-टर्म नौकरी को समाप्त कर, एक समान लाभकारी रोज़गार सुनिश्चित करें। 300 से कम कर्मचारियों वाली कंपनियों को बिना सरकार की अनुमति के बंद करने और छंटनी करने के प्रावधान को समाप्त किया जाए।सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण और मुद्रीकरण पर तत्काल रोक लगाई जाए।श्रम सत्यापन का अधिकार श्रम विभाग से छीनने के बदलाव को रद्द किया जाए। सभी कृषि उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करना। प्रदर्शनकारियों में प्रमुख रूप से असित कुमार सिंह,पी.एस.बाजपेई, गौरव दीक्षित, नवनीत यादव, तारिणी कुमार, राणा प्रताप सिंह, राम प्रकाश राय, धर्मदेव,उमेश शुक्ला, एस ए एम जैदी,राजीव खरे,आर डी गौतम, मीनाक्षी सिंह, अरविंद कुमार , आर पी श्रीवास्तव, अंकुर द्विवेदी, सुनील कुमार शुक्ला , योगेश ठाकुर,रफीक, ओपी रावत, कैलाश पासवान मो वशी, राम सिंह, नीरज यादव, विजय कुमार उपस्थित रहे।