भक्तों ने किया माँ कालरात्रि का पूजन
कन्नौज ब्यूरो पवन श्रीवास्तव के साथ प्रिंस श्रीवास्तव
हिंदुस्तान न्यूज एक्सप्रेस कन्नौज संवाददाताश्रद्धा,भक्ति और शक्ति के प्रतीक नवरात्र के सातवें दिन महाशक्ति मां दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा की गई।माना जाता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने से काल का नाश होता है।इसी वजह से मां के इस रूप को कालरात्रि कहा जाता है। असुरों के राजा रक्तबीज का वध करने के लिए देवी दुर्गा ने अपने तेज से इन्हें उत्पन्न किया था।इनकी पूजा शुभ फलदायी होने के कारण माता को शुभंकारी भी कहते हैं।मंगलवार को शहर के मंदिरों सहित आसपास के विभिन्न मंदिरों में श्रद्धालुओं ने सुबह से पूजा-अर्चना शुरु कर दी।इस दौरान मंदिरों में भक्तों की लंबी-लंबी कतारें लगी नजर आई।शहर के सिद्धपीठ मां फूलमती देवी मंदिर,काली दुर्गा मंदिर सरायमीरा,भद्रकाली मंदिर मकरन्द नगर,सिंह बाहिनी मंदिर, श्री आम्विका पथवारी देवी मंदिर भूडा, क्षेमकली मंदिर,बलायपुल स्थित संतोषी माता मंदिर,चौधरी सराय स्थित बाबा मनकामेश्वर मंदिर,मौरारी देवी, गोवधर्नी देवी मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों में विधि-विधान से पूजा की गई।मंगलवार को मंदिरों व घरों में साधकों ने मन सहस्रार चक्र को विराजमान कर पूजा किया।इस चक्र के बनने से ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं।देवी कालरात्रि का शरीर रात के अंधकार की तरह काला है इनके बाल बिखरे हुए हैं और इनके गले में विद्युत की माला है।इनके चार हाथ है जिसमें इन्होंने एक हाथ में कटार तथा एक हाथ में लोहे कांटा धारण किया हुआ है।इसके अलावा इनके दो हाथ वर मुद्रा और अभय मुद्रा में है।इनके तीन नेत्र है और इनके श्वास से अग्नि निकलती है।कालरात्रि का वाहन गर्दभ (गधा) है।बुधवार को मां के आठवें स्वरूप महागौरी की आराधना व पूजा-अर्चना की जाएगी।गुरुवार को रामनवमी है।रामनवमी के दिन मां के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्री की आराधना एवं पूजा-अर्चना की जाएगी।