भक्त बिना ये कुछ भी नही भक्त है इनके प्राण: कथा व्यास सुवेदी
*आज की कथा प्रसंग में " कर्मा बाई की निश्चल भक्ति का हुआ व्याख्यान
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर आज कथा के तृतीय दिवस स्थान ( इंडस्ट्रियल स्टेट कालपी रोड कानपुर अमर उजाला के निकट ) कृपा धाम मंदिर प्रांगण
में आयोजित होने वाली पंच दिवसीय ( संगीतमय भक्तमाल कथा )के तृतीय दिवस सायं काल 3 बजे सात बजे तक होने वाली भक्त माल कथा में कार्यक्रम आयोजक संयोजक सुनील कपूर सपना कपूर , राजीव चतुर्वेदी , गुड़िया चतुर्वेदी, द्वारा व्यास पीठ का पूजन किया गया ।
तदउपरांत आज कि भक्तमाल कथा में *सुप्रसिद्ध रामकथा वाचक एवं भागवताचार्य "आचार्य श्री कृष्ण गोपाल सुवेदी जी ने भक्तमाल के कथा प्रसंग पर बोलते हुए " कहा कि लगभग 1585 में ब्रजभाषा में लिखा गया महाकाव्य है भक्त माल ग्रंथ जिसमें 200 से अधिक भक्तों की भगवान के प्रति अनन्य भक्ति का सुंदरतम वर्णन किया गया है । आज की कथा में भक्तमाल कथा प्रसंगानुसार " भक्त शिरोमणि कर्मा बाई से निश्छल भक्ति का दर्शन हमे धर्म आत्म साद करने की शिक्षा देता है , तो भक्त देवा पण्डा जी से अनन्य शरणागति का भाव दर्शन ,
श्री हरिपाल विप्र जी से अकिंचन सेवा निष्ठा का दर्शन प्राप्त होता है वहीं ,साक्षी गोपाल जी लाडले जू से सत्य मार्ग का दर्शन हमे सीखने को मिलता है तो वहीं ,भक्त श्री रामदास जी से नियम निष्ठा का दर्शन हमे मिलता है ।
कृष्ण गोपाल सुदीप जी महाराज कहते है की *योगेश्वर श्री कृष्ण भगवान की अनन्य भक्त थी कर्मा बाई जिनकी अनन्य भक्ति के सुंदर प्रसंग* पर आज व्याख्या करते हुए कहा कि कर्मा बाई की निश्चल भक्ति से अति प्रसन्न ठाकुर भक्त वत्सल भगवान कर्मा के हांथ से भोग खाते थे और जब कभी वो मंदिर नही आपाती तो ठाकुर जी स्वय उसके घर पर भोग पाने चले जाते थे । क्युकी भगवान भक्तों की भक्ति और प्रेम को स्वीकार करते हैं, चाहे वे पूजा-पाठ की विधि से अनजान ही क्यों न हों। भगवान तो वात्सल्य और भक्ति के ही भूखे है, उन्हें आडम्बरों से कोई लेना देना नहीं है ।