श्री शिवमहापुराण कथा : गौतम ऋषि ने भगवान से मांगा पोषण शक्ति से भरे जल का वरदान- शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस सलधा/ बेमेतरा/ छत्तीशगढ़। परमाराध्य' परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य जी स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती जी महाराज '1008' जी महाराज के मीडिया प्रभारी अशोक साहू ने बताया पूज्यपाद शंकराचार्य जी बुधवार प्रातः भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजार्चन पश्चात भक्तो को दिव्य दर्शन दिए एवं भक्तो को चरणोदक प्रसाद दिए ततपश्चात दूर दूर से आए भक्तो के धर्म सम्बंधित जिज्ञासाओं को दूर किए। प्रातः 8:30 बजे शिवगंगा आश्रम सपाद से ग्राम दारगांव पहुँचे जहा समस्त ग्रामवासियों ने दिव्य दर्शन कर पदुकापुजन किया व ग्राम के ही राम मंदिर चौक पर धर्मध्वज लगाया गया। ग्राम हथपान पहुँचे ग्रामवासियों द्वारा पदुकापुजन पश्चात आशीर्वाद व प्रसाद दिए एवं पुनः शिवगंगा आश्रम सपाद लक्षेश्वर धाम प्रस्थान किए।दोपहर 3 बजे जगद्गुरु शंकराचार्य शिवगंगा आश्रम से कथा स्थल पहुँचे जहा गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, क्षेत्रीय विधायक आशीष छाबड़ा, यजमान व सलधा वासियो ने सामुहिक रूप से पादुकापुजन किए। परम्परा अनुसार आचार्य राजेन्द्र शास्त्री द्वारा बिरुदावली का बखान किया गया ततपश्चात शंकराचार्य ने राम संकीर्तन करा छठम दिवस के शिवमहापुराण कथा का श्रवण कराना प्रारम्भ किए।श्री शिव महापुराण कथा के प्रारंभ में शंकराचार्य महाराज ने कहा कि गौतम नाम के ऋषि और जहां आजकल त्रंबकेश्वर क्षेत्र है वहां पे रहते थे और 100 वर्ष का अकाल पड़ गया। 100 वर्ष का आकाल आप समझिए वर्षा हुई नहीं, जितने भी जल के सब स्त्रोत थे सूख गए कहीं पर हरी पत्ती देखना मुश्किल हो गया पत्ती तो ठीक क्रीमी व किट भी समाप्त हो गए। पशु और पक्षी भी जंगल छोड़कर चले गए। अब वहां कोई रहना पसंद नहीं करता था प्राणायाम करते हुए गौतम ऋषि वहां पर विराजमान रह गए। उन्होंने कहा मैं इस क्षेत्र को छोडूंगा नहीं तपस्या करता रहूंगा।
बाद में उनकी तपस्या बढ़ने लगी और कहते हैं उन पर कृपा हुई भगवत गीता भगवान प्रकट हुए और कहा वर मांगो क्या मानते हो गौतम उन्होंने कहा महाराज बरसात हो जाए। यही चाहते हैं भगवान ने कहा वर्षा तो नहीं हो सकती अभी यहां पर अकाल ही रहने वाला है इसलिए वर्षा को छोड़कर और कोई वरदान चाहते हो तो मांग लो तो बहुत गौतम ऋषि ने कहा कि महाराज ठीक है वर्षा नहीं होती है, तो हमको आप जल दे दीजिए लेकिन उस जल में गुण होने चाहिए भगवान ने कहा कि कौन से गुण वाला जल तुमको चाहिए कहा ऐसा जल चाहिए जो अक्षय हो खत्म ना हो और उसमें पोषण की शक्ति हो।उस जल को जिसको हम प्रदान कर दे वह पुष्ट हो जाए, तो भगवान ने कहा एक छोटा सा गड्ढा खोदो उसमें हम जल भर देते हैं, तो उन्होंने एक बाई एक हाथ का एक गड्ढा खोद दिया उसमें भगवान ने जल भर दिया और कहा कि यह अक्षय जल है और पोशाक है पवित्र करने वाला है तो गौतम ऋषि उसी जल का सेवन करने लगे उसी से स्नान होने लगा भोजन होने लगा फुलवारी सीख दी उन्होंने खेती छोटी मोटी करने लगे व उनका जीवन अच्छे से चलने लगा जब उनका जीवन अच्छे से चलने लगा तो उनके जो नातेदार रिश्तेदार दूर चले गए थे उन्होंने सोचा कि गौतम ऋषि के पास अच्छा चला गया है हम भी उनके पास चले तो वह भी आ गए।उनको भी उसी में से जल मिलने लगा तो उन्होंने भी अपने बाग बगीचे ठीक कर लिए व छोटी मोटी खेती कर ली और इस तरह से पूरा कुटुंबा करके बस गया और वहां पर खेती लहलहा ने लग गए वहां का पूरा वातावरण बदल गया यह सब तो हुआ लोग आबाद हो गए लेकिन फिर वह हुआ जो अमूमन इस संसार में होता है। वह क्या हुआ वह जो कुटुंबी आए थे जिन्होंने गौतम ऋषि के प्राप्त जल से अपना जीवन फिर से बाघ किया था। उनके मन में जलन हो गई कि सब लोग जब आते हैं, तो हम लोगों की हरियाली नहीं देखते हैं तुरंत बोलते हैं गौतम ऋषि का किया हुआ है यह गौतम जब तक रहेगा तब तक हमारी प्रशंसा कोई नहीं करेगा।
इन्हीं की प्रशंसा होगी इसलिए इनका अपमान हो जाए देश निकाला इनका कर दिया जाए तो अच्छा हो जाएगा जिनके लिए आप कभी कुछ करते हैं ना कभी-कभी वह भी आपके लिए कुछ करना चाहते हैं। वह यह करते हैं इसलिए करने के पहले सोच लीजिए खैर अब यह जो एक साथ ही वह पूरी हो नहीं रही थी क्योंकि गौतम ऋषि की तपस्या और उनके द्वारा प्राप्त वरदान सब के जीवन का एक कारण था जैसे कोई उनकी आलोचना करता कोई कर ही नहीं सकता तो उन लोगों ने तपस्या शुरू कर दी तपस्या शुरू करके भगवान को प्रकट किया और जब भगवान प्रकट हो गए मांगो क्या मांगते हो कहां महाराज लोग इनकी निंदा करें और धक्का मार कर इनको यहां से भगा दे। हम यही चाहते हैं।शहरिया हूं और ग्रामीण हूं, देहाती भी हूं और जो कुछ हूँ शंकराचार्य भगवान के आशीर्वाद से हूं - गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू*बेमेतरा। छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू आज दोपहर 2 बजे सलधा सपाद लखेश्वर धाम के शिवगंगा आश्रम पहुंचे जहां उन्होंने भण्डारे में प्रसाद ग्रहण कर 2: 45 बजे शंकराचार्य स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज का आशीर्वाद लिया दोपहर 3 बजे शिवगंगा आश्रम से सपाद लक्षेश्वर धाम कथा स्थल पहुचे जहा परम्परा अनुसार शंकराचार्य के पदुकापुजन किया।गृहमंत्री ने इस दौरान बताया कि वह स्वयं को सौभाग्यशाली महसूस करते हैं कि शंकराचार्य महाराज के दिव्य दर्शन का लाभ उन्हें मिला। उन्होंने कहा कि कोशिशों के बावजूद कई बार आने का अवसर नहीं मिलता, लेकिन सही समय आता है तो स्वयं ही भगवान अपने दिव्य दर्शन के लिए बुला लेते हैं।अभी ब्रह्मचारी जी ने बताया सलधा में जब सपाद लखेश्वर शिवलिंग की स्थापना की बात आई थी गुरुदेव भगवान भी आए थे। उस समय मैं बेमेतरा का विधायक था। उस समय यहां आने का जुड़ने का, थोड़ा बहुत सेवा करने का अवसर मिला बाद में आप सब के आशीर्वाद से गुरुदेव की कृपा से सांसद बना तो थोड़ा समय की कमी हुई। आना कम हुआ और अभी फिर से विधायक बनने का अवसर मिला गुरुदेव की कृपा से तो यहां से दूर दुर्ग ग्रामीण में अवसर मिला। दुर्ग ग्रामीण शहर के नजदीक है शहरी और ग्रामीण की बात नहीं थी। मैं अभी शहरिया भी हूं और ग्रामीण भी हूं, देहाती भी हूं और जो कुछ हूँ गुरुदेव भगवान के आशीर्वाद से हूं मैं धार्मिक मंचों में बहुत अधिक बोलना नहीं चाहता सुनने का बड़ा मन करता है क्योंकि समय की बड़ी कमी होती है। मैं कोशिश करता हूं कि बहुत कम समय ही सही, जितना भी समय मिल पाएं वही मेरे जीवन की धन्यता के लिए भविष्य के लिए आगे के मेरे मार्ग निर्धारण के लिए काफी होगा। गुरुदेव से एक सूत्र और एक संकेत तो मिलता है। हम उसे लेकर आगे बढ़ते हैं। मानव सेवा क्षेत्र में कोशिश करते हैं कि बहुत अच्छा काम करें। मानव जीवन प्राप्ति बहुत ही अधिक सौभाग्य से हुई है। अच्छा कर्म करना चाहिए। यही सोच कर कोशिश करता हूं जितना अच्छा हो सके मानव सेवा गौसेवा और कल्याण का काम कर सकूं। व्यक्तिगत कोई महत्वाकांक्षा नहीं है मानव जीवन जो मिला है। उसमें अच्छा काम करने के अलावा संत महात्माओं की सेवा करने का उनका आशीर्वाद लेने का मन अच्छी अच्छी बातें सुनने का जानने का जीवन की धन्यता का वह अवसर मिला हैं।आजके कथा श्रवण में मुख्यरुप से प्रेमप्रकाश पांडेय, अवदेश चंदेल, मनोज शर्मा, ललित विश्वकर्मा, ब्रह्मचारी परमात्मानंद, ब्रह्मचारी केशवानंद, ब्रह्मचारी हृदयानंद, राकेश पांडेय सहित हज़ारो की संख्या में श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण किया।
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