संस्कृत बटुक क्रिकेट मैच का हुआ आयोजन
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस वाराणसी।पहले इन संस्कृत की लाइनों को इनके अर्थ के साथ पढ़े..
*कन्दुक प्रक्षेपक: कन्दुकं प्रक्षिपति, तदा फलक ताडकत्वेन तीव्र गत्या प्रहरति, तदा कन्दुकं आकाश मार्गेन सीमा रेखात: बहिर्गतम् । षड्धावनाऽका: लब्धा: ।
(बालर ने बाल फेंका , बल्लेबाज ने हिट किया ,बाल आकाश मार्ग से होती हुई बाउंड्री के बाहर चली गई । छ: रन प्राप्त हुए ।
*कन्दुकस्य रेखाया: बहिर्गमनम् । अतिरिक्त एक धावनाऽका: लब्धा: ।
(वाइड बाल , अतिरिक्त एक रन प्राप्त हुआ
*सर्वे दर्शका: अति प्रसन्ना:
(सभी दर्शक काफी प्रसन्न हैं
*धौतवस्त्र धारिण: टीका-चन्दन कारिण: , हस्तौ फलकधारयन्त्यौ कीदृशं क्रीडाक्षेत्रस्य शोभां वर्द्धयन्ति ।
(धोती पहनकर टीक-त्रिपुंड लगाए हुए तथा हाथों में बल्ला थामे बटुक (खिलाड़ी) खेल मैदान की शोभा बढ़ा रहे हैं ।
जी हाँ ,एक ऐसा खेल जिसको देखकर दर्शक दीर्घा में उपस्थित दर्शकों ने दांतों तले उंगलियां दबा ली। खेल था क्रिकेट मैच का और क्रिकेट मैच ऐसा की जिसमें सारे नियम लगभग अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच के ही बराबर थे।
मौका था संस्कृत भाषा व इसके संवर्धन हेतु सतत प्रयत्नशील शास्त्रार्थ महाविद्यालय (दशाश्वमेध) के 80वें स्थापनोत्सव पर आयोजित संस्कृत क्रिकेट मैच के भव्य आयोजन का। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी वेदपाठी बटुकों ने क्रिकेट मैच खेल कर समाज को सन्देश देने का प्रयास किया कि हमारे हाथों में शास्त्रों वके अलावा यदि क्रिकेट का बल्ला भी होगा तो उसमें भी पीछे हटने वाले नहीं है। शुक्रवार को रामापुरा के जयनारायण इंटर कॉलेज में यह प्रतियोगिता आयोजित हुई। प्रातः मुख्य अतिथि शहर दक्षिणी के विधायक डॉ नीलकंठ तिवारी ने बटुकों से संस्कृत में परिचय प्राप्त किया तथा इसके बाद कुछ गेंद बटुकों से डलवाई व स्वयं उनके साथ क्रिकेट खेल कर आयोजन का उद्घाटन किया। शुरुआत में संस्था के राष्ट्रपति पुरस्कृत पूर्व प्राचार्य तथा संयोजक डॉ.गणेश दत्त शास्त्री व संस्कृत भाषा के विद्वान डॉ.विनोद राव पाठक ने मुख्य अतिथि को माल्यार्पण व अंगवस्त्र प्रदान कर अभिनंदन किया। इस मौके पर विधायक डॉ.नीलकंठ तिवारी ने कहा संस्कृत भाषा व इसके छात्रों के उत्साहवर्धन हेतु इस प्रकार के आयोजन होते रहने चाहिए,इएसव प्रचार तथा प्रसार में बढ़ोत्तरी होती है।अतः बच्चों की प्रतिभा निखारने के लिए एक अवसर प्रदान करना चाहिए चाहे वह खेल का ही क्षेत्र क्यों ना हो।