श्रीमद्भागवत भागवत कथा के तीसरे दिन राजा परीक्षित की कथा सुनाई
कन्नौज ब्यूरो पवन श्रीवास्तव के साथ आलोक प्रजापति
हिंदुस्तान न्यूज एक्सप्रेस कन्नौज संवाददाता। रितुकाला में चल रही श्रीमद्भागवत भागवत कथा के तीसरे दिन राजा परीक्षित की कथा सुनाई गई।कथा वाचक कौशलेंद्र दिवेदी ने बताया कि आदि देव ब्रह्मा के उत्पति कमल नाल का वर्णन करते हुए क का सोलहवां वर्णत और 21 वां वर्ण प से यानी तप करो।इनके तप से प्रसन्न होकर भगवान ने बैकुंठ धाम दिखाया,जहां माया और रागादि विकार नहीं रहते है। शुकदेव मुनि ने कहा कि ईश्वर विभिन्न रूपों से तपस्या द्वारा ही संसार की रचना,पालन और संहार करते है।शुकदेव का जन्म विचित्र तरीके से हुआ,कहते हैं बारह वर्ष तक मां के गर्भ में शुकदेव जी रहे।एक बार शुकदेवजी पर देवलोक की अप्सरा रंभा आकर्षित हो गई और उनसे प्रणय निवेदन किया। शुकदेव ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया।जब वह बहुत कोशिश कर चुकी तो शुकदेव ने पूछा,आप मेरा ध्यान क्यों आकर्षित कर रही हैं। मैं तो उस सार्थक रस को पा चुका हूं,जिससे क्षण भर हटने से जीवन निरर्थक होने लगता है।मैं उस रस को छोड़कर जीवन को निरर्थक बनाना नहीं।भागवत भजन के द्वारा माहौल को भागवत मय एवं भक्ति मय बना दिया।