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  1. साथी के साथ मारपीट से उत्तेजित विभाग के अन्य कर्मचारी पहुँचे कोतवाली दी तहरीर,मामला सदर कोतवाली क्षेत्र के मक्का पुरवा का ।
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  3. मारपीट का वीडियो हुआ सोशल मीडिया पर बायरल।
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  5. विभाग के इस बसूली अभियान में ग्रामीण ने विभाग के कर्मचारी से की मारपीट।
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  7. विभाग की टीम बिजली बिल के बकाया भुगतान के लिए गाँव चला रही चेकिंग अभियान।
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  9. कन्नौज-बिजली विभाग की टीम से ग्रामीण ने की मारपीट ।
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  11. जिला कलेक्ट्रेट में सौंपा गया मुख्यमंत्री संबोधित ज्ञापन।
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  13. हत्यारों की गिरफ्तारी, अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट और सरकारी नौकरी दिए जाने की मांग।
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  15. कन्नौज तहसील से कलेक्ट्रेट तक बार काउंसिल ऑफ उत्तर भारत का प्रदर्शन।
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  17. कन्नौज - कासगंज में महिला अधिवक्ता के अपराह्न के बाद हत्या मामले में अधिवक्ताओं का आक्रोश।
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  19. जांच में दोषियों को बख्शा नही जाएगा- सीएमएस
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  21. कन्नौज- तेज बुखार से मासूम की मौत, परिजनों में आक्रोश,परिजनों ने डॉक्टर पर लापरवाही का लगाया आरोप
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  23. मामला एक्सप्रेस वे पर कन्नौज जिले के थाना ठठिया के बहसुइया गांव/कानपुर नगर के अरौल के 210.500 प्वाइंट कट का
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  25. लखनऊ आगरा एक्सप्रेस वे पर लोडर की टक्कर से टूरिस्ट बस खंदक में उतरी लोडर सवार पति-पत्नी सहित तीन घायल
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  27. कन्नौज- कन्नौज में टला बड़ा हादसा
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  29. शिकायती प्रार्थना पत्रों का शीघ्र एवं गुणवत्तापूर्ण निस्तारण करने के लिए आदेशित किया ।
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  31. तत्काल गुणवत्तापूर्ण निराकरण के लिए निर्देशित किया ।
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  33. गूगल मीट के माध्यम से दिए एस पी अमित कुमार आनन्द ने निर्देश ।
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  35. फरियादियों की समस्या के समाधान के लिए संबंधित प्रभारी निरीक्षक एवं थानाध्यक्ष को दिए निर्देश
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  37. कन्नौज -एसपी अमित कुमार आनन्द ने जनता दर्शन में आये फरियादियों की सुनी समस्याएं।
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  39. गुरसहायगंज कोतवाली क्षेत्र का मामला।
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चिकित्सकों ने गोली लगने से गंभीर रूप से घायल व्यक्ति की बचाई जान
Updated: 7/16/2024 12:15:00 AM By Reporter- rajesh kashyap kanpur

चिकित्सकों ने  गोली लगने से गंभीर रूप से घायल व्यक्ति की बचाई जान |
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | रीजेंसी हॉस्पिटल कानपुर में सर्जिकल टीम के त्वरित और संगठित प्रयासों की वजह से गोली लगने के एक क्रिटिकल केस में 26 वर्षीय पुरुष की जान बचाई गई। 29 जून, 2024 को इमरजेंसी डिपार्टमेंट में पहुंचे इस मरीज को बाएं सीने पर गोली लगने की वजह से घाव हो गया था। इस घाव को स्थिर किया गया और हॉस्पिटल आने के दो घंटे के भीतर  इमरजेंसी सर्जरी की गई।
मरीज़ को दोपहर 3 बजे इमरजेंसी डिपार्टमेंट में लाया गया। तब मरीज का ब्लड प्रेशर कम था और हृदय गति तेज़ थी। तत्काल इंट्रावेनस फ्ल्यूड रिससिटेशन दिया गया। जांच में पता चला कि बाएं सीने पर हृदय के नीचे एक एंट्री घाव था, लेकिन कोई एग्जिट घाव नहीं था। इसका मतलब यह था कि गोली शरीर के भीतर ही रह गई थी। छाती और पेट के सीटी स्कैन से पेट में खून जमा होने और 3rd लंबर वर्टेब्रा के स्तर पर एक गोली फंसी हुई पाई गई। स्कैन से यह भी पता चला कि निचले शरीर से हृदय तक ऑक्सीजन रहित रक्त ले जाने वाली मुख्य शिरा इन्फीरियर वेना कावा, स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं दे रही थी। जांच के रिजल्ट की गंभीरता को देखते हुए कार्डियोथोरेसिक सर्जिकल टीम के डॉ. शशांक त्रिपाठी और गैस्ट्रो-सर्जिकल टीम के डॉ. रोहन नू से कंसल्ट किया गया। मरीज़ के साथ जोखिम और रोग के डायग्नोसिस पर चर्चा करने के बाद तत्काल सर्जरी करने का फैसला मरीज के अभिवावकों से सहमति प्राप्त के बाद किया गया। डॉ. शशांक त्रिपाठी वरिष्ठ सलाहकार - कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) ने इस केस के बारे में बताते हुए कहा, "इस केस की गंभीरता के कारण त्वरित और सटीक हस्तक्षेप की आवश्यकता थी। हमारी टीम के पास चोटों का मैनेजमेंट और मरीजों को ठीक करने के लिए व्यापक अनुभव और एक्सपर्टीज थी, जिसकी वजह से सर्जरी सफल रही। हमारे मल्टीडिसिप्लिनरी दृष्टिकोण ने हमें घाव को ठीक करने और व्यापक देखभाल प्रदान करने में सहूलियत प्रदान की। यह केस बहुत ज्यादा काबिलियत और देखभाल के साथ जानलेवा वाली इमरजेंसी स्थितियों को संभालने के लिए तैयार एक काबिले और रिस्पोंसिव मेडिकल टीम के महत्व को दर्शाता है।
इमरजेंसी रूम में पहुंचने के दो घंटे के अंदर मरीज़ को इमरजेंसी लैपरोटॉमी से गुजरना पड़ा। सर्जरी के दौरान पेट की कैविटी में लगभग 800 मिली लीटर ख़ून पाया गया। गोली छाती से निकलकर, हृदय के ठीक नीचे छाती की हड्डी के निचले हिस्से को छूती हुई, पेट और आंत के बीच से गुज़रती हुई, और 3rd वर्टेब्रा के पास जाकर लगी। गोली ने निचले वेना कावा में एक छेद कर दिया था। सर्जिकल टीम ने सावधानीपूर्वक गोली निकाली, आगे ब्लीडिंग को रोकने के लिए प्रमुख नस को नियंत्रित किया, और पेरिटोनियम और प्लेज्ड टांके का उपयोग करके छेद की मरम्मत की, जिससे हेमोस्टेसिस  हुआ। ऑपरेशन के दौरान एक यूनिट ख़ून चढ़ाया गया। सर्जरी के बाद मरीज का ब्लड प्रेशर और मूत्र उत्पादन स्थिर रहा। उसे ऑपरेशन रूम में सामान्य एनेस्थीसिया और वेंटिलेटर से हटा दिया गया और फिर उसे स्थिर स्थिति में आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। ऑपरेशन के बाद पहले दिन से मरीज ने मुंह से तरल पदार्थ और हल्के ठोस खाद्य पदार्थ को खाना शुरू कर दिया। यह दर्शाता है कि उसकी हालत में महत्वपूर्ण रूप से सुधार हुआ। उसके बाद से उसे वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। इलाज़ के गैस्ट्रो-सर्जिकल पहलू की देखरेख करने वाले डॉ. रोहन नू ने कहा, "यह केस कई प्रणालियों के बीच एक कॉम्प्लेक्स इंटरप्ले था और इसके लिए गहन और त्वरित सर्जिकल हस्तक्षेप की आवश्यकता थी।

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